उद्धव सरकार: पिछले 7 दिनों से महाराष्ट्र में छाए हैं सियासी आशंका के बादल
महाराष्ट्र एक तरफ कोरोना संकट से जूझ रहा है तो दूसरी पर राजनीति में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. बीजेपी नेता नारायण राणे के राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग के एक सप्ताह बाद भी राज्य में तीन दलों के गठबंधन से बनी उद्धव सरकार पर आंशका के बादल छाए हुए हैं. हालांकि, बीजेपी ने कह दिया है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की वह कोई कोशिश नहीं कर रही है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बीच पिछले सात दिनों में दो मुलाकातें हो चुकी हैं, जिससे लगता है कि राज्य की राजनीति में कुछ तो जरूर पक रहा है.
दरअसल कोरोना संकट के बीच उद्धव सरकार के खिलाफ बीजेपी ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस सीधे सीएम उद्धव ठाकरे को टारगेट कर रहे हैं. वहीं, केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल का श्रमिक ट्रेन को लेकर उद्धव ठाकरे पर सीधा निशाना साधना और पिछले सोमवार को बीजेपी नेता नारायण राणे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात कर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर सियासी सरगर्मी को बढ़ा दी है.
सोमवार यानी 25 मई को ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को मिलने के लिए राजभवन बुलाया. उनके साथ एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल भी थे. राज्यपाल से करीब 20 मिनट की मुलाकात के बाद बाहर निकलकर प्रफुल्ल पटेल ने कहा था, 'राज्यपाल के बुलावे पर हम यहां आए. हमारे बीच कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई.' हालांकि, प्रफुल्ल पटेल का यह बयान लोगों के गले नहीं उतरा कि अगर राजनीतिक चर्चा नहीं करनी थी, तो फिर राज्यपाल ने शरद पवार को मिलने क्यों बुलाया था?
गवर्नर से सोमवार को मुलाकात के बाद शाम को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, सीएम उद्धव ठाकरे और शिवसेना नेता संजय राऊत के बीच मातोश्री (उद्धव ठाकरे के घर) पर बैठक हुई. इस दौरान शरद पवार ने कहा था कि उद्धव ठाकरे की सरकार पूरी तरह स्थिर है, एनसीपी और कांग्रेस पूरी तरह इस सरकार के साथ हैं. पवार ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को लेकर कहा, 'फडणवीस धैर्यहीन हो रहे हैं और महाराष्ट्र सरकार को कोई खतरा नहीं है.'
26 मई यानी मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से महाराष्ट्र में संबंध में सवाल पूछा गया. इस पर राहुल गांधी ने कहा था, 'मैं यहां कुछ बातों में अंतर बताना चाहूंगा. हम महाराष्ट्र में सरकार को समर्थन कर रहे हैं. लेकिन महाराष्ट्र में हम लोग फैसले नहीं ले सकते हैं. हम पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान और पुडुचेरी में फैसले ले सकते हैं. इसीलिए सरकार चलाने में और सरकार को समर्थन देने में काफी अंतर होता है.'
राहुल के इस बयान पर देवेंद्र फडणवीस ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कांग्रेस, सरकार का तो हिस्सा है लेकिन फैसलों में पार्टी का कोई हिस्सा नहीं है. जैसे ही कांग्रेस पार्टी को लगा कि कोरोना के मामले मे महाराष्ट्र की हालत हाथ से बाहर जा रही है तो उन्होंने पूरा ठीकरा सीएम उद्धव ठाकरे के सिर फोड़ दिया.
सियासी सरगर्मी और राहुल के बयान बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को अपने आवास वर्षा बंगले पर गठबंधन के तीनों सहयोगी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई था. इसमें शिवसेना से अनिल परब, सुभाष देसाई और एकनाथ शिंदे मौजूद थे. वहीं एनसीपी से अजित पवार और जयंत पाटिल शामिल हुए तो कांग्रेस की ओर से बालासाहेब थोराट ने बैठक में हिस्सा लिया था. हालांकि, बैठक से पहले राहुल गांधी ने उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के साथ बातचीत की और अपने बयान पर सफाई भी दिया.
बैठक के बाद शिवसेना के अनिल परब और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष थोराट ने कहा कि इस वक्त जब हम कोरोना से लड़ाई लड़ रहे हैं तो विपक्ष को हमें सपोर्ट करना चाहिए. लेकिन वो सिर्फ सरकार की छवि खराब करने में जुटे हैं. महाराष्ट्र में सत्ता पाने के लिए मौजूदा सरकार को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है. कांग्रेस नेता नितिन राउत ने कहा कि बीजेपी यहां प्रदेश की सरकार गिराने में लगी हुई है. मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने का काम नरेंद्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस को बंद करना चाहिए. कोरोना के युद्ध में सबको साथ आना चाहिए. लेकिन इनको किसी भी प्रकार की लज्जा नहीं आ रही है.
कांग्रेस और शिवसेना के आरोपों पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि उनकी पार्टी कतई ऐसा नहीं चाहती कि सरकार गिरे या महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो. कोरोना से लड़ना प्राथमिकता है सरकार बनाने की कोई जल्दी नहीं है और ये सरकार हम गिराना भी नहीं चाहते हैं. सरकार अपने आपसी टकराव की वजह से गिरेगी. आजतक के ई-एजेंडा कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग बीजेपी की नहीं है.