गौतम अडानी घूसकांड का भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या होगा असर
नई दिल्ली: अरबपति बिजनेसमैन गौतम अडानी घूसकांड में फंसे हैं. गौतम अडानी पर रिश्वत देने के आरोप अमेरिका में लगे हैं. अडानी पर अमेरिकी एक्शन से भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में हड़कंप मचा गया है. अडानी ग्रुप के कई डील अब जांच के दायेर में हैं. अब सवाल है कि अडानी के घूसकांड का क्या भारत और अमेरिका के रिश्ते पर भी असर होगा? आखिर गौतम अडानी के घूसकांड पर अमेरिका क्या सोचता है? इसे लेकर खुद व्हाइट हाउस ने अपनी मंशा से दुनिया को वाकिफ करा दिया है. व्हाइट हाउस का कहना है कि उसे अडानी पर लगे आरोपों की जानकारी है. अन्य मुद्दों की तरह भारत और अमेरिका इस मामले को भी सुलझा लेंगे.
दरअसल, अडानी मामले पर व्हाइट हाउस ने कहा, ‘हमें इन आरोपों की जानकारी है. अडानी समूह पर लगे आरोपों की जानकारी के लिए आपको सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमिशन (SEC) और डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ( DOJ) से संपर्क करना होगा. भारत और अमेरिका के रिश्ते के बारे में हम यही कहेंगे कि यह बेहद मजबूत नींव पर टिका है. यह नींव दोनों देशों के लोगों के बीच के रिश्ते और वैश्विक मुद्दों पर हमारे सहयोग से बनी है. हमें पूरा भरोसा है कि हम इस मामले को भी उसी तरह सुलझा लेंगे, जैसे दूसरे मुद्दों को सुलझाते आ रहे हैं. इस मामले की बाकी जानकारी आपको SEC और DOJ से मिल सकती है. हम एक बार फिर कहना चाहेंगे कि भारत और अमेरिका के रिश्ते की नींव बहुत मजबूत है.
अडानी पर क्या आरोप
अब जानते हैं कि गौतम अडानी पर क्या आरोप हैं? गौतम अडानी पर अमेरिका में भारत में सौर बिजली कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अफसरों को 26.5 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने का आरोप लगा है. भारत के दूसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी समेत सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अफसरों को रिश्वत देने का आरोप है. यहां दिलचस्प बात है कि मामला भारत में रिश्वत देने का है और मुकदमा अमेरिका में है. गौतम अडानी के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट ने अरेस्ट वारंट भी जारी किया है.
अफसरों के नाम का खुलासा नहीं
गौतम अडानी पर रिश्वत देने का आरोप तो लगा है, मगर अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है. अडानी ग्रुप ने 2021 में स्थानीय रूप से विनिर्मित सौर सेल और मॉड्यूल आधारित संयंत्रों का उपयोग करके उत्पन्न 8,000 मेगावाट (आठ गीगावाट) बिजली की आपूर्ति के लिए बोली जीती थी. लेकिन अडानी ग्रुप बिजली खरीदने वाली राज्य सरकारों की मूल्य अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सका. गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने 2021 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. उसके बाद राज्य सरकार 7,000 मेगावाट बिजली खरीदने पर सहमत हुई थी. अमेरिकी आरोप के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के अधिकारियों को 25 लाख रुपये प्रति मेगावाट की दर से ‘रिश्वत’ दी गई. यह राज्य की ओर से खरीदी गई 7,000 मेगावाट बिजली के लिए कुल 1,750 करोड़ रुपये (20 करोड़ डॉलर) बैठती है. ओडिशा ने कुछ इसी तरह से 500 मेगावाट बिजली खरीदी थी.