भारत संग रिश्ता ही नहीं, मालदीव ने तोड़ दी दशकों पुरानी यह परंपरा, मुइज्जू ने बदला इतिहास
नई दिल्ली: मालदीव और भारत के रिश्ते नाजुक मोड़ पर हैं. मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के चीनी झुकाव से भारत संग रिश्तों की डोर कमजोर होती जा रही है. पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणी ने आग में घी डालने का काम किया है. इन सबकी वजह से भारत संग मालदीव का विवाद और गहरा गया है. अक्सर भारत की ओर देखने वाले मालदीव की नजर इस बार चीन की तरफ है. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने न केवल इतिहास बदला है, बल्कि दशकों पुरानी परंपरा तोड़ दी है. मुइज्जू भारत से पहले चीन की यात्रा पर चले गए हैं और अब खुलकर अपना चीन प्रेम दिखाने लगे हैं.
मुइज्जू ने तोड़ी दशकों पुरानी पंरपरा
मालदीव के राष्ट्रपति मोहममद मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहली आधिकारिक यात्रा के लिए भारत की बजाय चीन को चुना है. जबकि ऐसी परंपरा रही है कि जब भी कोई नेता मालदीव का राष्ट्राध्यक्ष बनता है तो उसकी पारंपरिक रूप से पहली यात्रा भारत की होती है. मगर मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने इस परंपरा को तोड़ दिया है और इतिहास बदल दिया है. वह भारत से पहले चीन पहुंच चुके हैं. हालांकि, वह चीन से पहले तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात का भी दौरा कर चुके हैं. चीनी समर्थक मोहम्मद मोइज्जू भारत विरोधी रुख अपनाने के लिए जाने जाते हैं.
कैसे हुई रिश्ते बिगड़ने की शुरुआत
मालदीव के राष्ट्रपति मोहममद मुइज्जू का चीनी झुकाव और भारत से पहले चीन की यात्रा और पीएम मोदी पर मंत्रियों की टिप्पणी, ये ऐसे कुछ घटनाक्रम हैं, जिनसे भारत के साथ मालदीव के रिश्ते दरकते दिख रहे हैं. हालांकि, इसकी शुरुआत तो उस वक्त हुई, जब मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी का ऐलान किया था. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने पद संभालने से पहले कहा था कि मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाया जाएगा. इतना ही नहीं, उन्होंने यह तक कहा था कि अगर भारत द्वारा सेना नहीं हटाया जाता है तो मालदीव में लोकतंत्रर खतरे में पड़ जाएगा.