कश्मीर की पहली महिला वैज्ञानिक, जिन्हें मिली 'SERB-POWER फेलोशिप'

आमतौर पर ऐसी धारणा है कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे विषयों को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता है. समय-समय पर कई महिलाओं ने इस धारणा को तोड़ा है. ऐसी ही एक युवा महिला हैं डॉ. नशीमन अशरफ (Dr. Nashiman Ashraf). श्रीनगर की रहने वाली डॉ. नशीमन तमाम तरह की दिक्कतों को किनारा करते हुए अपने लक्ष्य को साधने में कामयाब रही हैं. उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में मिलने वाली प्रतिष्ठित फेलोशिप ‘एसआरभी-पॉवर फेलोशिप’ 2022 (SERB-POWER 2022) मिली है. यह फेलोशिप पाने वाली वह कश्मीर की पहली महिला बन गई हैं.

10 लाख रु. का अनुदान

SERB-POWER यानी साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड खोजी शोध में महिलाओं को बढ़ावा देने वाला एक कार्यक्रम है. जिसका उद्देश्य विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में लिंगभेद को समाप्त करना है. इस फेलोशिप के तहत शोधार्थी को तीन साल के लिए 10 लाख रु. अनुदान और हर महीने 15000 रु मानदेय दिया जाता है.

पहले भी मिल चुकी हैं कई फेलोशिप

इससे पहले डॉ. नशीमन को ‘सीएसआईआर रमन रिसर्च फेलोशिप’ (CSIR Raman Research) मिल चुकी है, जिसके तहत उन्होंने अमेरिका की केंटकी यूनिवर्सिटी (Kentuck University, Americ) में विजिटिंग साइंटिस्ट के तौर पर काम किया था. उन्हें यूरोपियन मोलेक्यूलर बायोलॉजी ऑर्गेनाइजेशन की लघु अवधि फेलोशिप भी मिल चुकी है, जिसके तहत वह स्पेन में काम कर चुकी हैं.

बेहद प्रतिभाशाली हैं

डॉ. नशीमन वर्तमान में CSIR-Indian Institute of Integrative Medicine (CSIR-IIIM), शाखा श्रीनगर के प्लांट बायोटेक्नोलॉजी विभाग में वरिष्ठ वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रही हैं. अब तक विभिन्न अंतरराष्ट्रीय जर्नल में उनके 15 से ज्यादा पेपर प्रकाशित हो चुके हैं. वह दो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पेटेंट भी अपने नाम कर चुकी हैं. फिलहाल उनके मार्गदर्शन में चार छात्र अपनी पीएचडी और पांच डॉक्टरेट कर रहे हैं.

डॉ. नशीमन का कहना है कि कुछ अलग के लिए प्रयास करने की आदत उन्हें बचपन से ही है. इसी अलग करने की इच्छा ने ही उनका रुझान विज्ञान की ओर बढ़ाया. जीबी पंत कृषि एवं तकनीक विश्विद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में स्नातकोत्तर (मास्टर) करने के बाद उन्होंनें जेएनयू से प्लांट जीनोम रिसर्च में पीएचडी की. 2010 में वह वापस कश्मीर आ गईं ताकि अपने राज्य के लोगों की बेहतरी के लिए कुछ कर सकें.