टूटी हुई शादी में दंपती को तलाक की अनुमति न देना काफी दुखद- हाईकोर्ट की टिप्‍पणी

चंडीगढ़. तलाक (Divorce) के एक मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab And Haryana High Court) ने कहा है कि जिस दंपती की शादी एक बार हमेशा के लिए टूट गई हो, उसे तलाक की अनुमति न देना काफी दुखद हो सकता है. इस टिप्‍पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने गुरुग्राम के फैमिली कोर्ट (Family Court) का 2015 में जारी आदेश भी पलट दिया, जिसमें उसने पति की तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया था. अर्जी में पति ने लंबे समय से अलग रह रही पत्‍नी से तलाक मांगा था.

हाईकोर्ट की दो जजों की पीठ ने इस दौरान कहा, ‘जो विवाह सभी उद्देश्यों के लिए खत्‍म चुका है, उसे अदालत के फैसले से पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है, अगर पार्टियां इच्छुक नहीं हैं क्योंकि विवाह में मानवीय भावनाएं शामिल हैं और अगर वे खत्‍म हो गई हैं, तो कोर्ट के निर्देश पर भी कृत्रिमता के जरिये उनके जीवन को दोबारा ठीक करने की शायद ही कोई संभावना होगी.’

जानकारी के अनुसार इस केस में पति-पत्‍नी करीब 18 साल से अलग रह रहे हैं और पत्‍नी तलाक को राजी नहीं है. पति तलाक चाहता है और पत्‍नी को गुजारा भत्‍ता के तौर पर एकमुश्‍त रकम अदा करने को तैयार है. लेकिन पत्‍नी इस प्रस्‍ताव को मान नहीं रही है.

पति ने पहले गुरुग्राम के फैमिली कोर्ट का रुख किया था और मांग की थी कि उसकी शादी को मानसिक दयाहीनता (Mental Cruelty) के आधार पर खत्‍म किया जाए. फैमिली कोर्ट ने उसकी अर्जी को मई 2015 में खारिज कर दिया था. इसके बाद व्‍यक्ति ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की. हाईकोर्ट ने पाया कि पति और पत्‍नी नवंबर 2003 से अलग रह रहे हैं.

पति ने पत्‍नी को 7.5 लाख रुपये एकमुश्‍त रकम देने के साथ ही आपसी सहमति तलाक का प्रस्‍ताव दिया. लेकिन 12 अक्‍टूबर, 2021 को हाईकोर्ट को बताया गया कि महिला आपसी सहमति से तलाक के लिए तैयार नहीं है. इस पर व्‍यक्ति को आदेश दिए गए कि वह पत्‍नी के नाम 10 लाख रुपये का फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट करे.