‘गोल्डन पर्ल’ बनी भारत की सबसे महंगी चाय, 1 किलो चाय पत्ती का रेट है 99,999 रुपये
असम के डिब्रूगढ़ जिले में बीते सोमवार को गुवाहाटी चाय नीलामी केंद्र (Guwahati Tea Auction Centre-GATC) में एक किलो चाय पत्ती 99,999 रुपये में बेची गई. इस विशेष चाय पत्ती का नाम है ‘गोल्डन पर्ल’(Golden Pearl), जिसका मालिकाना हक एफटी टेक्नो ट्रेड (AFT Techno Trade) के पास है. इस चाय पत्ती का उत्पादन डिब्रूगढ़ जिले के नाहोरचुकबारी कारखाने में (Nahorchukbari Factory) में किया गया है. पिछले 2 महीनों के अंदर यह दूसरा मौका है, जब किसी चाय पत्ती की बोली 99,999 रुपये प्रति किलो लगी है. पिछले साल 14 दिसंबर को डिब्रूगढ़ जिले के मनोहरी चाय बागान के ‘मनोहरी गोल्ड’ ;चाय पत्ती 99,999 रुपये में नीलाम हुई थी.
उत्साहित हैं कारोबारी
‘मनोहरी गोल्ड’ चाय पत्ती को नीलामी सौरभ टी ट्रेडर्स ने खरीदा था. इसके बाद से ही यह देश में सबसे ज्यादा कीमत में बिकने वाली चाय हो गई थी. अब ‘गोल्डन पर्ल’ चाय ने इसकी बराबरी कर ली है. ‘गोल्डन पर्ल’ को असम टी ट्रेडर्स ने खरीदा है. यह ट्रेडर्स हमेशा से अधिक कीमत पर चाय पत्ती खरीदता रहा है. नाहोरचुकबारी कारखाने के भागीदारों में से एक असलम खान ने ‘इस्टमोजो’ को दिए गए अपने इंटरव्यू में बताया, ‘नीलामी की शुरुआत बेहतरीन रही और हम इससे बेहद रोमांचित हैं. इस कामयाबी के बाद हम अपनी और चाय पत्तियों को भी नीलामी में भेजेंगे.’
नाहोरचुकबारी फैक्ट्री लाहोवाल में डिब्रूगढ़ हवाई अड्डे के पास स्थित है, कारखाना एएफटी टेक्नो ट्रेड के स्वामित्व में है और 2018 में तीन भागीदारों – नूर आलम खान, इमरान खान और असलम खान द्वारा स्थापित किया गया था. असलम खान का कहना है, “हम डिब्रूगढ़ जिले के नाहोरचुक, एकोराटोली और नाडुवा डिकॉम क्षेत्र के छोटे चाय उत्पादकों से पत्ती खरीदते हैं और हम उन सभी को उनके द्वारा आपूर्ति की गई उत्कृष्ट पत्ती के लिए धन्यवाद कहना चाहते हैं.”
इस महंगी चाय का नाम ऐसे पड़ा
गौरतलब है कि असम के कुछ छोटे चाय उत्पादक बहुत अच्छी चाय पत्ती का उत्पादन कर रहे हैं और उन्हें देश और बाहर में भी अच्छी कीमतों पर बेच रहे हैं. जब असलम खान से पूछा गया कि ‘गोल्डन’ नाम रखने का ख्याल कहां से आया, तो उन्होंने कहा कि वे लोग ज्वेलरी बिजनेस से भी जुड़े हुए हैं, वहीं से इस चाय पत्ती का नाम ‘गोल्डन’ रखने का आयडिया आया.
बाजार में डिमांड है
‘गोल्डन पर्ल’ को खरीदने वाले असम टी ट्रेडर्स के पल्लव जालान का कहना है, ‘मार्केट में इस तरह की क्लासी स्पेशल कैरेक्टर वाली चाय की डिमांड पहले से ही रही है. हम अपने प्रीमियम कस्टमर का ख्याल हमेशा से रखते आए हैं, जो हमेशा क्वालिटी की तलाश में रहते हैं.’ वहीं चाय इंडस्ट्री से जुड़े कुछ लोगों का मानना है कि इतनी ऊंची कीमत पर भारतीय चाय उद्योग की वास्तविकता को नहीं दर्शाती है, क्योंकि यहां बेची गई चाय की मात्रा सिर्फ एक किलोग्राम है.
सच्चाई कुछ और है!
भारतीय चाय संघ के पूर्व अध्यक्ष विवेक गोयनका ने हाल ही में एसोसिएशन की वार्षिक आम बैठक में कहा था, “भारत में नीलामी में 50 प्रतिशत चाय 200 रुपये से कम में बिकती है, जो संगठित क्षेत्र में उत्पादन की लागत से कम है.” उन्होंने कहा कि भारतीय चाय की कीमतें, लगभग एक दशक तक स्थिर रहने के बाद, उत्पादन में कमी के कारण 2020 में कुछ उम्मीद दिखी. हालांकि, 2021 में औसत कीमतों में 6% की गिरावट आई. उन्होंने ये भी कहा कि मौजूदा उत्पादन स्तर पर उद्योग का अनुमानित कारोबार लगभग 22,000 करोड़ रुपये है.
गोयनका का मानना है, “यदि उद्योग को जिंदा रखना है तो उस पर निर्भर लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करना होगा और निवेशकों को उचित आरओआई प्रदान करना होगा, इस तरह उद्योग का कुल कारोबार 35,000 करोड़ रुपये बढ़ाना होगा.”