शादी से पहले दुलहन को हुआ ब्रेन-स्ट्रोक, ब्रेन-डेड हुई तो परिवार ने अंगदान कर पेश की मिसाल
बेंगलुरू. कर्नाटक (Karnataka) से एक मिसाल पेश करने वाली खबर आई है. यहां कोलार (Kolar) इलाके में 6 फरवरी को एक विवाह-समारोह चल रहा था. शादी से पूर्व की रस्मों के दौरान दूल्हा-दुलहन की तस्वीरें ली जा रही थीं. अगले दिन 7 फरवरी को शादी थी. इससे पहले ही अचानक दुलहन गश खाकर गिर पड़ी. आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया तो मालूम पड़ा कि उसे ब्रेन-स्ट्रोक (Brain-Stroke) हुआ है. अस्पताल पहुंचने में भी चूंकि देर हो गई थी, इसलिए लड़की ब्रेन-डेड (Brain-Dead) हो चुकी थी. तब दोनों परिवारों ने कोई और चारा न देख अपनी बेटी का अंगदान कर उसे दूसरों में जिंदा रखने का फैसला किया.
यह कहानी कोलार जिले कोडिचेरुवू गांव की चैत्रा केआर की है. उसे इसी शुक्रवार को ब्रेन-डेड घोषित किया गया था. ब्रेन-स्ट्रोक के बाद उसे बेंगलुरू के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस (NIMHANS) में भर्ती कराया गया था. यहां के डॉक्टर शशिधर एचएन ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘ब्रेन-स्ट्रोक (Brain-Stroke) के बाद करीब 4-4.5 घंटे की अवधि बहुत महत्त्वपूर्ण होती है. इसे गोल्डन-आवर्स कहते हैं. चैत्रा को जब हमारे पास लाया गया तो उसकी यह अवधि बीत चुकी थी. इसलिए तमाम कोशिशों के बावजूद हम उसे वापस नहीं ला सके. उसे ब्रेन-डेड घोषित करना पड़ा.’
श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer): श्रेयस अय्यर को वनडे सीरीज में सिर्फ एक मैच में खेलने का मौका मिला. उन्होंने 80 की औसत से 80 रन बनाए और तीसरे मैच में टीम को दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे टी20 के बड़े खिलाड़ी और बड़े कप्तान माने जाते हैं. वे ओवरऑल टी20 की 156 पारियों में 4180 रन बना चुके हैं. 2 शतक और 25 अर्धशतक लगाया है.
युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal): लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल ने भी अच्छा प्रदर्शन किया. उन्होंने 2 मैच में 19 की औसत से 5 विकेट झटके. इकोनॉमी 5 से कम की रही. वे टी20 की 219 पारियों में 243 विकेट ले चुके हैं. 25 रन देकर 6 विकेट उनका बेस्ट प्रदर्शन है.
वे बताते हैं कि चैत्रा के परिवारवालों की सहमति से उसकी दोनों किडनियां, हार्ट-वॉल्व और कॉर्निया हासिल कर लिए गए. इन्हें बाद में राज्यस्तरीय अंग-प्रत्यारोपण समिति के जरिए अन्य जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित (Transplant) कर दिया गया. डॉक्टर शशिधर के मुताबिक, निमहंस में यह पहला मौका है, जब कोई मरीज ब्रेन-डेड (Brain-dead) घोषित किया गया और प्रत्यारोपण के लिए उसके अंग हासिल किए गए. जबकि कर्नाटक में यह इस साल का 12वां मामला है, जब किसी मृत मरीज के अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplant) के लिए उपलब्ध हुए हैं.
पढ़ने में होनहार चैत्रा लेक्चरर बनना चाहती थी
चैत्रा का इसी शनिवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया. उसके चाचा नारायणस्वामी बताते हैं, ‘चैत्रा बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थी. लेक्चरर बनना चाहती थी. घर की अकेली लड़की थी. बेंगलुरू सेंट्रल यूनिवर्सिटी से उसने एमएससी किया था. इस वक्त बीएड की तैयारी कर रही थी. नजदीक ही चिंतामणि तालुका के कैवारा क्रॉस में एक निजी स्कूल में पढ़ाती भी थी.’ वहीं, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री (Health Minister Of Karnataka) के सुधाकर ने चैत्रा और उसके परिवारवालों की प्रशंसा की है.