करीब 100 साल बाद पूर्णिमा पर आने वाला ग्रहण विनाशकारी साबित हो सकता है
ग्वालियर । 27 जुलाई को सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण दिखाई देगा। ये ग्रहण रात 11.54 बजे से शुरू होकर रात 3.49 बजे खत्म होगा। 3.55 घंटे लंबे इस ग्रहण का सूतक 27 जुलाई की दोपहर 2.54 बजे से ही लग जाएगा। ये ग्रहण अपने आप में काफी खास है क्योंकि ग्रहण वाले दिन गुरु पूर्णिमा भी है। 27 जुलाई को गुरुपूर्णिमा के साथ चंद्रग्रहण भी पड़ेगा। यह संयोग 18 साल बाद बन रहा है। चंद्रग्रहण को लेकर गुरुपूर्णिमा पर्व मनाने वाले लोग असमंजस की स्थिति में हैं। वहीं ज्योतिषाचार्यों का मत है कि ग्रहण का सूतक लगने से पहले गुरुपूर्णिमा पर्व मनाया जा सकता है। वहीं चंद्रग्रहण होने के कारण भारी बारिश की भी संभावना है।
करीब 100 साल बाद पूर्णिमा पर आने वाला ग्रहण विनाशकारी साबित हो सकता है क्योंकि ऐसा कहा जा रहा है कि आषाढ़ मास में आने वाला ये ग्रहण भूकंप, चक्रवात, आंधी, तूफान, भूस्खलन को दावत दे सकता है। श्रेष्ठ पंडितों का कहना है कि ग्रहण के सूतक से पहले ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाना श्रेष्ठ है। उधर, मंदिरों में ग्रहण के सूतक से पहले आरती हो जाएगी, शाम की आरती दोपहर में होगी क्योंकि ग्रहण काल में पूजा-अर्चना को शुभ नहीं माना जाता है और इसी वजह से ग्रहण काल में मंदिरों के पट एकदम से बंद हो जाते हैं। ग्रहणकाल में कुछ खास बातों का ख्याल रखा जाता है। ग्रहण काल में क्या ना करें ग्रहण काल में भोजन न करें। गर्भवती स्त्रियां बाहर न निकलें। मांस-मदिरा का सेवन ना करें। प्याज-लहसुन भी ना खाएं। झगड़ा-लड़ाई से बचें। पूजा स्थल को स्पर्श ना करें। इस दौरान शिव और गायत्री का जाप करना चाहिए, ग्रहण खत्म होने के बाद क्या करें ग्रहण खत्म होते ही स्नानादि कर नए वस्त्र पहनें। अपने पितरों को याद करें, दान करें। अगर आसपास कोई धार्मिक स्थल है तो वहां जाएं। अगर आस-पास घाट हो तो वहां जाकर शिव जी की पूजा करनी चाहिए।