राजमाता के नाम पर बने कृषि विश्वविद्यालय में तानाशाही, कर्मचारी परेशान

ग्वालियर। नाम राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय का , लेकिन सबसे ज्यादा शोषण कर्मचारियों का। ३१ दिन काम करने के एवज में मात्र १९ दिन के पैसे , उस पर भी आवाज उठाने पर नौकरी से निकालने की धमकी। जबकि राजमाता विजयाराजे सिंधिया लोकमाता थी और शोषित , पीडित समाज के लिए अपने महल के खजाने तक खोल देती थीं।
हम बात कर रहे हैं ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की, जहां शोषण के चलते एक कर्मचारी अरूण सिंह ने पेट्रोल छिडक कर आत्मदाह कर लिया। मृतक की जेब से निकले सुसाइड नोट के आधार पर पूरा मामला उजागर हुआ कि उसे कृषि विवि में प्रताडित किया जा रहा था । बताया जाता है कि कृषि विवि में केन्द्र व राज्य के कोई भी नियम फालो नहीं किये जा रहे हैं, कर्मचारियों को माह के ३१ दिन कार्य कराकर मात्र १९ दिनों का वेतन दिया जा रहा है।
आज इसकी जानकारी लगते ही पूर्व विधायक व कांग्रेस नेता प्रद्युम्र सिंह तोमर , आनंद शर्मा , संजय शर्मा, रश्मि पवार शर्मा, के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने पूरा मामला उठाया और थाने का घेराव किया। कांग्रेस नेताओं ने कृषि विवि अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने की कोशिश की । थाने के घेराव की जानकारी लगते ही एडीएम शिवराज वर्मा वहां पहुंचे और मृतक की विधवा को विवि में नौकरी व पांच लाख रूपए का मुआवजा देने की घोषणा की, तब कहीं जाकर कांग्रेसी शांत हुए।
ज्ञातव्य है कि कृषि विश्वविद्यालय में ऐसी पहली बार नहीं है, विश्वविद्यालय स्थापना से ही कर्मचारी अपने शोषण की आवाज उठाते रहते हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन पूरा तानाशाह बना हुआ है, और राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम पर बटटा लगा रहा है। जबकि राजमाता गरीब और आम लोगों की मसीहा थीं , वह उनका दुख दर्द भी नहीं देख पाती थीं।