बेसहारों का सहारा, अनाथों के नाथ बने शिवराज
कोरोना की महाविकट, महाघातक बीमारी से जंग के दौर में बेसहारा लोगों का सहारा बनने और अनाथ बच्चों का नाथ बनने की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की पहल राहत का बड़ा डोज साबित होंगी, बशर्ते उनकी घोषणाओं पर अमल हो जाए. हर बेसहारा को 5-5 हजार की पेंशन, राशन, अनाथ बच्चों को पढ़ाई से लेकर सारी सुविधाओं की जिम्मेदारी लेने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है. प्रवासी बेरोजगार मजदूर हों या वकील अथवा पत्रकार सबके इलाज, मदद, अन्न, रोजगार के लिए ब्याजमुक्त कर्ज राज्य सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदम मुसीबत की इस घड़ी में बेहद मददगार साबित होंगे. शिवराज सरकार के घोर आलोचक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Ex. CM Digvijay Singh) ने भी बेसहारा, बच्चों के लिए इस पहल की सराहना की है.
कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के इस पूरे दौर में वो तमाम जनप्रतिनिधि (Public Representatives) गायब हैं या केवल मदद के नाम पर मुंहदिखाई कर रहे हैं, जिन्हें जनता ने वोट देकर नगरनिगम, पालिका, विधानसभा या संसद तक पहुंचाया था. मंत्री विजय शाह एक निजी अस्पताल के आईसीयू का फीता काटकर उद्घाटन करते नजर आते हैं. तो पर्यटन, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर यज्ञ चिकित्सा की और हनुमान चालीसा का जाप कर कोरोना को हराने जैसी बातें करती हैं और कहती हैं कि यज्ञ में आहुतियां डालने पर कोरोना की तीसरी लहर छू भी नहीं पाएगी. पश्चिम बंगाल के चुनाव में प्रचार करने वाले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा मप्र में कोरोना संक्रमण फैलने के लिए महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों जैसे कांग्रेस शासित राज्यों को जिम्मेदार ठहराते हैं, तो सारे नियम कायदे ताक पर रख मंत्री तुलसीराम सिलावट भीड़ भरी प्रेस कांफ्रेंस करते दिखते हैं. अपने ऐसे मंत्रियों की फौज के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मोर्चा संभाले हुए हैं. उन्होंने कोरोना से लड़ने और परेशान जनता को राहत देने के लिए हाल ही में कुछ फैसले किये.