कवि सम्मेलन का आयोजन

ग्वालियर। संस्था ग्राम विकास महिला एवं बाल कल्याण स्वास्थ्य शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संस्कृति संचालनालय भोपाल के सहयोग से आज कवि सम्मेलन का आयोजन विवेकानंद नशामुक्ति केन्द्र, ठाटीपुर ग्वालियर पर किया गया। इस कार्यकृम में मुख्य अतिथि के रूप में जगतगुरू आनन्देश्वर महाराज थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिनेश गौतम, जिला पंजीयक स्टाॅम्प ग्वालियर ने की। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में ज्ञानेन्द्र शर्मा परियोजना अधिकारी, श्रीमती ज्योति उपाघ्याय, हरिओम गौतम वरिष्ठ समाजसेवी, लालता प्रसाद दोहरे उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ में कार्यक्रम संयोजक सौरभ सक्सैना द्वारा कार्यकृम की रूपरेखा एवं संस्था द्वारा संचालित गतिविधियों की जानकारी उपस्थित लोगों को दी गयी। इस अवसर पर कवि अनंग पाल सिंह भदौरिया ने अपनी रचना, दुनियां का सामान्य ज्ञान हमको कण्ठस्थ पडा है, किन्तु पडौसी के बच्चों के नाम नहीं आते हैं। देश जाति सेवा की बातें करते नहीं अघाते, लेकिन, अपने ही भाई के काम नहीं आते हैं...............पंक्तियों से कवि सममेलन का शुभारंभ किया। डाॅ. ज्योत्सना राजावत ने अपनी रचना द्वारा वो बिटिया कहलाती है, अरमानों की देहली पर, ने हके अक्षत बिखराती है, अहसासों की डोर संग जो, सर्वस्व समपर्ण करने आती है........अपनी रचना प्रस्तुत की। कवि रामलखन शर्मा ने- हमको कलमकार होने का धर्म निभाना पडता है, शर्म हीन आंखों को नित दर्पण दिखलाना पडता है......................... अपनी रचना से उपस्थित लोगो की आंखें नम कर दी। ऐसा दर्द छिपा रखा था अखबारों के पन्ने में जिसे बयां करने में तुमने पूरी उम्र गुजार दी......... लालिता प्रसाद दोहरे ने अपनी रचना से कवि सम्मेलन में समां बांध दिया।अपनी रचनाओं से सें उपस्थित लोगों को मंत्र मुग्ध किया।
रामचरण चिडार ने वतन के काम जो आये वही अनुपम जवानी है, चमन के फूल सा महके, सफल जीवन निशानी हैं........ ने अपनी प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला पंजीयक दिनेश गौतम ने अपनी उक्त पंक्तियों से इतिहास की परीक्षा थी, उस दिन चिंता से, ह्रदय धडकता था, थे बुरे सगुन घर से ही चलते ही बायाॅं नयन फडकता था...... पंक्तियों से उपस्थित लोगों को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया। वो क्या जग को दे पाएंगे, देश बेच कर खा जाएॅगे, उन्हें देश के आराधन से बैर है, खुद के हित के आगे दुनियाॅं गैर है ..... उक्त पक्तियों से डाॅ. मंजूलता आर्य कवियत्री ने सम्मेलन में संमा बांध दिया। अंत में डाॅ. ज्योति उपाध्याय ने ‘युग युग की गाथायें बदली, पर नारी की पीर वही है, पढ़ लिखकर चाकरी करती, नारी की तकदीर वहीं है, परिभाषा बदली है केवल, पैरों की जंजीर वही है....उक्त रचना से उपस्थित लोगों भाव भिभोर कर दिया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि माननीय जगतगुरू आनन्देश्वर महाराज ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुये कहा कि इस प्रकार सांस्कुतिक कार्यक्रमों से समाज में एकता व भाईचारा बढता है। इस अवसर पर हरिओम गौतम ने संस्था द्वारा साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यो की प्रशंसा की, उन्होनें कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज को एक सूत्र में बांधने में कारगर साबित होते है। इस अवसर पर अन्य अतिथियों ने भी अपना उद्बोधन दिया। इस अवसर पर संस्था द्वारा उपस्थित कवियों का शाॅल श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन रामलखन शर्मा एवं आभार प्रदर्शन सौरभ सक्सैना ने व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से राजीव श्रीवास्तव, नरेन्द्र कुशवाह, सुकान्त सोनी, हरीश परिहार, तुलाराम सांवरे, डाॅ. सुरेन्द्र कुशवाह, आदि लोग उपस्थित थे।