कोरोना माहमारी मची थी रेमडेसिविर इंजेक्शन थी गोदाम सड़ गये 17 करोड़ रूपये रेमडेसिविर हो गये नष्ट, 18 लाख रूपये किराया भी चुकाया

ग्वालियर. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते मध्यप्रदेश सरकार ने जो रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदे थे। वह 2 वर्षो पहले 2023 में एक्सपायर हो चुके थें इसके बाद भी पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन ने इन्हें नष्ट करने की कार्यवाही नहीं की है बल्कि यह जिस गोदाम में रखने थे। उसका 6 लाख रूपये वार्षिक के हिसाब से किराया चुकाया। 3 सालों तक गोदाम का 18 लाख रूपये किराया देने के बाद भी पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन के जिम्मेदार लोग जागे। उन्होंने इसी साल मार्च में गोदाम को खाली कर 17 करोड़ रूपये के कीमत के 1 लाख 33 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शंस को गुपचुप तरीके से नष्ट कर दिया है। रेमडेसिविर इंजेक्शन के बॉक्स, पीपीई किट और मास्क यहां वहां पड़े नजर आए। इन इंजेक्शंस का समय पर इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ? इन्हें कंपनी को वापस क्यों नहीं किया?
जब यह एक्सपायर हो गए तो एक्सपायर्ड इंजेक्शंस को तीन साल तक गोदाम में क्यों रखा गया था? इसे लेकर जब जिम्मेदारों से बात की तो वह इन सवालों का जवाब देने से बचते रहे। वहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि एक्सपायर होने से पहले इनका इस्तेमाल किया जा सकता था। पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन ने इसमें लापरवाही बरती।
क्यों खरीदे थे रेमडेसिविर इंजेक्शन
कोरोना काल में दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच डेली केस की संख्या 30 हजार से भी कम रह गई थी। ऐसा लग रहा था कि महामारी खत्म होने के कगार पर है। नए केस की घटती संख्या को देखते हुए दिसंबर से ही दवा कंपनियों ने रेमडेसिविर का उत्पादन घटा दिया था। मगर, यूरोप-अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में कोविड-19 की दूसरी या तीसरी लहर आ चुकी थी।
भारत को इसके लिए तैयार रहना था, पर ऐसा हुआ नहीं। लोग निश्चिंत हो गए और देश में महामारी की दूसरी लहर और भयावह स्वरूप में सामने आई। पहली लहर में 98 हजार का आंकड़ा पीक का था और दूसरी लहर में एक दिन में 1.80 लाख केस भी सामने आए थे।
ये जानलेवा लहर थी। लोगों को सांस लेने में तकलीफ हुई तब रेमडेसिविर की मांग बढ़ी। ये आउट ऑफ स्टॉक हो गए। जिनके पास कुछ इंजेक्शन बचे थे, उन्होंने भी दोगुनी कीमत वसूल की। ऐसे में इनका नियंत्रण सरकार ने अपने हाथ में लिया था।