सॉफ्टड्रिंक ज्यादा पीना डायबिटीज समेत अन्य रोगों का कारण बन सकता जेयू के शोध में हुआ खुलासा

ग्वालियर. फॉरफेट ऐसा तत्व है जो शरीर के लिये आवश्यक है। यह बॉडी में हड्डियों को मजबूती देने का काम करता है। लेकिन यदि फॉस्फेट अधिक मात्रा में शरीर में पहुंच जाये तो शरीर के लिये काफी नुकसानदायक भी है। यह खुलासा जीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण रसायन की एमएससी फायनल वर्ष की छात्रा आयुषी सिंहल और पूजा तोमर द्वारा किये शोध में हुआ है। शोध में खुलासा हुआ है कि सॉफ्टड्रिंक में फास्फोरिक एसिड का उपयोग अधिक मात्रा में होता है। इसके अधिक सेवन में टाइप टू डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।
हड्डियां कमजोर होती है
सॉफ्टड्रिंक में फॉस्फेट की ज्यादा मात्रा होने से यह हड्डियों के लिये नुकसानदायक है। इससे हड्डियां कमजोर होने लगती है। दांतों कमजोर होकर गिर जाते है। एसिड की ज्यादा मात्रा होने पर दपेजन में जलन, दर्द, गैस आदि की समस्यायें होने लगती है। फॉस्फेट की बॉडी में अधिक मात्रा में पहुंचने से टाइप टू डायबिटीज होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। बच्चों में भी डायबिटीज समेत अन्य रोग सॉफ्टड्रिंक के ज्यादा सेवन से हो सकते हैं।
0.3 मिग्रा होनी चाहिए, मिला 20
शोध के लिए बाजार में मिलने वाली सॉफ्टड्रिंक के नमूनों की जांच करवाई गई। इनमें से कुछ ड्रिंक्स में फॉस्फेट की मात्रा 0.3 से लेकर 20 मिली ग्राम प्रति लीटर तक पाई गई। इनका पीएच भी 2 से 3.5 के बीच पाया गया, जो कि अधिक अम्लीयता को दशार्ता है। रासायनिक पैरामीटर में इस तरह की बढ़ी मात्रा और उसका अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है।
मानक से अधिक घातक
विभाग समन्वयक डॉ. निमिषा ने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार पानी में 0.1 मिली ग्राम प्रतिलीटर फॉस्फेट होना चाहिये। इससे ज्यादा मात्रा में फॉस्फेट बॉडी में जाती है तो वह नुकसानदायक है। सॉफ्टड्रिंक में यह मात्रा 0.3 से लेकर 20 मिली ग्राम प्रतिलीटर तक पायी गयी है जो मानक से काफी अधिक है।