ग्वालियर में मिल गया कचरे का समाधान, सूखे और गीले कचरा अब देगा रोशनी
ग्वालियर. शहर में अब कचरे से लोगों को मुक्ति मिलने वाली है क्योंकि ग्वालियर में कचरे का मुद्दा पिछले एक दशक से समस्या रही लेकिन अब केदारपुर लैंडफिल साइट पर घरों और बाजारों से निकलने वाले कचरे का उपयोग बायो सीएनजी और बिजली बनाने में किया जाएगा। अभी लैंडफिल साइट पर औसतन 450-550 टन कचरा पहुंच रहा है जिसे जल्द ही सीएनजी और बिजली बनाने में उपयोग किया जाएगा।
110 करोड़ की लागत
कचरे से बिजली उत्पादन के लिए मशीन लगाई जाएगी जिसकी लागत राशी 110 करोड़ बताई जा रही है। स्टेट गवरमेंट से प्रोजेक्ट की मंजूरी मिलने पर MIC से प्रस्ताव पास होने के बाद ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी। केदारपुर साइट पर सूखे कचरे जैसे प्लास्टिक, पॉलीथिन के लिए प्रोसेसिंग प्लांट लगा है। इन कचड़ों से 6 मेगावाट बिजली बनाने का प्लान है। निगम ने पहले 4 मेगावाट बिजली प्लांट का सुझाव दिया था जिसको बदलकर अब 6 मेगावाट बिजली प्लांट कर दिया गया है।
कचड़े से बनेगा बायो सीएनजी गैस
नगर निगम ने पहले ही कचड़े से बायो सीएनजी गैस बनाने की प्रस्तावना प्रदेश शासन तक पहुचांई थी जिसको पहले ही मंजूरी मिल गई है। शासन ने बायो सीएनजी गैस बनाने की प्रस्तावना को 75 करोड़ रुपए की लागत राशी देते हुए स्वीकृति दे दी है। सरकार द्वारा मिलने वाली इस राशी से 2 प्लांट लगाने की योजना है। एक सीएनजी प्लांट और दूसरा सूखा कचरा प्रोसेस प्लांट। कचड़े से सीएनजी गैस बनाने के लिए निगम को 335 टन गीला कचरा हर दिन चाहिए होगा इसके साथ ही 227 टीपीडी सूखे कचरे की जरूरत होगी।