यूपी में सातवें और फाइनल चरण के लिए आज थम जाएगा चुनाव प्रचार, सियासी दिग्गजों ने झोंकी ताकत

उत्तर प्रदेश के छह चरणों में 349 विधानसभा सीटों पर चुनाव खत्म हो चुके हैं और अब बारी अंतिम चरण की है. 7वें फेज में पूर्वांचल के आजमगढ़ (Azamgarh) से से वाराणसी (Varanasi) तक के 9 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर 7 मार्च को मतदान होना है, जहां पर 613 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है. यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) के सातवें चरण के चुनाव के लिए चुनाव प्रचार शनिवार शाम 6 बजे थम जाएगा.. यूपी में सत्ता के लिहाज से यह सबसे अहम है, जिसके चलते बीजेपी से लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

पूर्वांचल के इस फाइनल जंग में सभी पार्टियों ने अपने दिग्गजों को चुनावी प्रचार में पूरी तरह से उतार दिया है और आक्रामक तौर पर सभी प्रचार कर रहे हैं. सातवें चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी मतदान होना है. इसके साथ ही अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ की विधानसभा सीटें भी इसी चरण में हैं. वहीं, पीएम मोदी ने खुद चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली है और अब दो दिनों तक काशी में डेरा जमाए रखेंगे.

बता दें कि सातवें चरण में 9 जिलों की 54 सीटों पर 7 मार्च को वोटिंग होगी. वहीं आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, संत रविदास नगर, चंदौली, मिर्जापुर और सोनभद्र जिले शामिल है.

ममता- राहुल ने बीजेपी पर साधा निशाना

उधर, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यूपी चुनाव में अपनी पहली और आखिरी रैली बनारस में की थी. भाजपा को चुनौती देने के लिए सपा गठबंधन के सारे नेता मंच पर मौजूद थे. ममता दो दिन वाराणसी में रहीं और इस दौरान यहां रहने वाले बंगालियों से मुलाकात की थी. जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वाराणसी में प्रचार के दौरान भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला था.

उन्‍होंने कहा कि नरेंद्र मोदी 2014 से पीएम हैं और उन्होंने रोजगार, दो करोड़ नौकरियां देने, किसानों की आय दोगुनी करने, काला धन मिटाने और 15 लाख रुपये देने की बात की थी, लेकिन अब इन चुनावों में वो रोजगार, नौकरी और किसानों की आय की बात क्यों नहीं करते हैं?

सातवें चरण में बसपा का अच्छा खासा जनाधार

हालांकि, इस बार पूर्वांचल के सियासी हालात थोड़े बदले हुए हैं. छोटे दलों में सुभासपा ने इस बार समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में है. सातवें चरण में बसपा का भी अपना अच्छा खासा जनाधार है, जिसके दम पर जीत की आस लगाए हैं. सातवें चरण में जिन सीटों पर चुनाव हैं, वहां पर 2017 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें, तो जातिगत समीकरण चरण 90 के दशक से हमेशा प्रभावी रहे हैं.

2017 में बीजेपी को मिली थी 36 सीटें

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में सातवें चरण इन 54 सीटों में से बीजेपी और उसके सहयोगियों ने 36 सीटें जीती थीं, जिनमें बीजेपी को 29, अपना दल (एस) को 4 और सुभासपा को 3 सीटें मिली थी. वहीं, सपा ने 11 सीटें, बसपा ने 6 सीटें और निषाद पार्टी ने एक सीट जीती थी. कांग्रेस खाता नहीं खोल सकी थी. हालांकि, इस बार ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी से नाता तोड़कर सपा के साथ हाथ मिला लिया है तो निषाद पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन कर रखा है.