तालिबान की अफगानिस्तान सरकार पर भारत का पहला बयान, विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बात पर जताई चिंता
नई दिल्ली. अफगानिस्तान संकट और तालिबान के अधिग्रहण के बाद भारत की ओर से पहले बयान में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में सैन्य समूह द्वारा बनाई जाने वाली नई समावेशी सरकार को लेकर चिंतित है. जयशंकर की यह टिप्पणी शनिवार को भारत और ऑस्ट्रेलिया की 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान आई. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने और रक्षा मंत्री पीटर डटन के साथ बातचीत की.
दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि अफगानिस्तान की स्थिति एक केंद्रीय चिंता का विषय है. मंत्रियों ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागर पर विचारों के साथ-साथ एक स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित हिन्द-प्रशांत क्षेत्र पर भी चर्चा की. नई तालिबान सरकार में समावेशिता पर जयशंकर के बयान को लेकर पायने ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया भी अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति के बारे में चिंतित है. इसके अलावा देश आतंकवादी समूहों के पनपने का स्थल भी बन रहा है.
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘ऑस्ट्रेलिया की मेरी मित्र ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिसे पायने का स्वागत करके प्रसन्नता हो रही है. अब हम अपनी चर्चाएं शुरू कर रहे हैं.’ पायने और ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री पीटर ड्यूटन शनिवार को निर्धारित ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता में हिस्सा लेने के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार को यहां पहुंचे.
वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जयशंकर करेंगे. दोनों रक्षा मंत्रियों ने शुक्रवार को अफगानिस्तान में कमजोर सुरक्षा स्थिति और तालिबान शासित अफगानिस्तान से आतंकवाद के प्रसार की आशंका से संबंधित अपनी ‘सामान्य चिंताओं’ पर चर्चा की. पिछले कुछ वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग बढ़े हैं.
पिछले साल जून में, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच एक ऑनलाइन शिखर सम्मेलन के दौरान साजो-सामान जुटाने के संबंध में सैन्य ठिकानों तक पारस्परिक पहुंच के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. ऑस्ट्रेलियाई नौसेना हाल ही में मालाबार नौसैन्य अभ्यास का हिस्सा थी जिसमें भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाएं भी शामिल थीं.