बिना अनुमति किया सामूहिक विवाह समारोह; बाल विवाह की सूचना पर छापा, रिकॉर्ड जब्त
कैंसर पहाड़ी पर सामूहिक विवाह समारोह में बाल विवाह हाेने की सूचना पर महिला बाल विकास विभाग की टीम ने मंगलवार शाम 7:00 बजे छापा मारा। यहां करीब 40 जोड़े मिले, जिनका सामूहिक विवाह वीर लक्ष्मण सिंह जनकल्याण समिति एवं कुछ अन्य सामाजिक संस्थाओं द्वारा कराया गया। प्रारंभिक जांच में बाल विवाह होता नहीं मिला लेकिन इन संस्थाओं ने जिला प्रशासन से सामूहिक विवाह समारोह कराने की न तो कोई पूर्व सूचना दी और न कोई अनुमति ली। जबकि सामूहिक विवाह समारोह के लिए एसडीएम से पूर्व अनुमति लेना पड़ती है। इस आधार पर महिला बाल विकास विभाग की टीम ने सभी जोड़ों के दस्तावेज ज़ब्त कर लिए।
अफसरों के अनुसार, संस्था के पर्चों पर जो मोबाइल नंबर पदाधिकारियों के छपवाए गए थे, वह मौके पर मौजूद नहीं थे और उन मोबाइल नंबर पर विभाग की टीम ने जब फोन लगाएं तो उनमें से कुछ झारखंड तो कुछ छत्तीसगढ़ में बैठे मिले, लेकिन मौके पर इन संस्थाओं के कर्मचारी ही मौजूद थे। इसके बाद मौके से चार कर्मचारियों को झांसी रोड थाना पुलिस के सुपुर्द किया गया। जो रिकॉर्ड समारोह स्थल से मिला, उसे जांच के लिए महिला बाल विकास विभाग की टीम ने जब्ती में लिया है।
टीम मौके पर पहुंची तब तक शादियां हो चुकी थी
महिला बाल विकास विभाग की टीम जब तक समारोह स्थल पर पहुंची सभी 40 जोड़ों की शादियां हो चुकी थी। इन जोड़ों में डबरा, सबलगढ़, भितरवार और ग्वालियर के अलग-अलग गांव से आए जोड़े थे।
पैसे लेकर करा रहे थे विवाह समारोह
पूछताछ में संस्थाओं के कर्मचारियों ने महिला बाल विकास विभाग की टीम को बताया कि जिन जोड़ों की शादी है यहां कराई गई उनसे पैसे लिए गए थे। किसी से 20000 किसी से पचास हजार तो किसी से ₹100000 तक लिए गए थे।
मामले की जांच करा रहे हैं
कैंसर पहाड़ी पर बिना अनुमति एवं सूचना के कुछ संस्थाएं सामूहिक विवाह समारोह आयोजित करा रही थीं। हम इन संस्थाओं की जांच कर रहे हैं। कुछ कर्मचारियों को पुलिस को भी सौंपा है। हालांकि सभी जोड़ों की शादी हो चुकी थी। बाल विवाह होने की सूचना जरूर थी लेकिन हमें मौके पर बाल विवाह होता नहीं मिला। जब्त किए गए दस्तावेजों से हम इस मामले की जांच कर रहे हैं।
-राजीव सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी,महिला बाल विकास विभाग
जांच में खुलासा... बगैर प्रमाण-पत्रों के और शपथ पत्र के आधार पर करा रहे थे शादी
महिला बाल विकास विभाग की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि जिन जोड़ों की शादियां कराई जा रही थी उनसे जन्म प्रमाण-पत्र, हाईस्कूल की मार्कशीट जैसे आयु प्रमाण-पत्र नहीं लिए गए थे सिर्फ शपथ-पत्र के आधार पर शादी कराई जा रही थी। महिला बाल विकास विभाग अब इस बात की जांच करेगा कि जिन 40 जोड़ों की शादी हुई है वह सभी बालिग थे या नाबालिग।