6 साल नहीं हुई कार्रवाई, हाई कोर्ट पहुंचा मामला तो बनी एसआईटी; 4 इंस्पेक्टर सहित 8 पर लगाया अर्थदंड
ट्रैक्टर ठगी के एक मामले में शिकायत होने के बाद भी 6 साल तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। जब फरियादी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की तो पुलिस अफसरों ने जांच करने के लिए एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने इस मामले में ट्रैक्टर एजेंसी के संचालन करने वाली महिला को गिरफ्तार कर लिया और ट्रैक्टर की फर्जी एनओसी तैयार करने वाले परिवहन विभाग के कर्मचारियों की जांच शुरू की। इस मामले में 6 वर्ष तक कार्रवाई न करने वाले चार इंस्पेक्टर, तीन सब इंस्पेक्टर एवं एक एएसआई को लापरवाही बरतने पर चंबल जाेन के पुलिस महानिरीक्षक मनाेज शर्मा ने पांच-पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।
मामला भिंड जिले के दबाेह का है। फरियादी दयाराम कुरचानिया ने 2014 में दबोह थाने में मामला दर्ज कराया था कि उनका ट्रैक्टर परिवहन विभाग की फर्जी एनओसी तैयार कराकर एजेंसी के संचालक गणेश प्रसाद द्विवेदी व अन्य ने बेच दिया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया लेकिन आगे कार्रवाई नहीं की। लगातार थाने के चक्कर लगाने और अधिकारियों को शिकायत करने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई ताे दयाराम ने 2020 मैं हाईकोर्ट में गुहार लगाई।
इसके बाद पुलिस विभाग ने मामले में जांच व कार्रवाई के लिए एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने ट्रैक्टर एजेंसी संचालक गणेश प्रसाद द्विवेदी की मौत हो जाने के बाद एजेंसी संचालक बनीं उनकी पत्नी स्मिता दुबे को गिरफ्तार कर लिया था। एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ कि ट्रैक्टर एजेंसी के संचालकों द्वारा ट्रैक्टर की फर्जी एनओसी तैयार कराई गई थी। फर्जी एनओसी बनाने में भिंड आरटीओ के कर्मचारी व अधिकारी शामिल होने की बता सामने आ रही है।
लापरवाही बरतने पर इन्हें दिया अर्थदंड: ठगी के मामले ट्रैक्टर एजेंसी संचालक और आरटीओ के स्टाफ को बचाने और कार्रवाई न करने पर चंबल आईजी ने दबोह थाने में पदस्थ रहे चार इंस्पेक्टर नवीन यादव, मनोज राजपूत, राजेश तोमर, कुशल भदाैरिया एवं एसआई अभिलाख, प्रताप सिंह व मातादीन को पांच-पांच हजार के अर्थदंड से दंडित किया है।