जिन खातों में फर्जी छात्रों की छात्रवृत्ति पहुंची, वे हाथीगढ़ा और शिवपुरी के कियोस्क से खुले
छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में निजी स्कूल संचालकों ने सोमवार को फर्जी छात्रों की सूचियों के साथ जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में आवेदन दिया। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने इस मामले की बारीकी से जांच कराने की मांग की है। कन्या संकुल कोर्ट रोड से जुड़े स्कूल में जिन फर्जी छात्रों के नाम से बैंक खातों में भुगतान हुआ है, वह शहर से लगे गांव हाथीगढ़ा (हातौद कोटा) और शिवपुरी शहर स्थित कियोस्क सेंटरों में खाेले गए। स्कूल संचालकों ने संबंधित बैंक खातों की जांच कराने की मांग की है क्योंकि 8 से 10 फर्जी छात्रों के नाम से एक ही बैंक खाते में राशि का भुगतान हुआ है।
छात्रवृत्ति घोटाले के पीछे पोर्टल में छोड़ी गईं खामियां भी अहम वजह हैं क्योंकि संकुल प्राचार्य और बीआरसीसी को जारी शिक्षा पोर्टल के लाॅगिन आईडी-पासवर्ड से बाजार में कहीं भी किसी भी कंप्यूटर से दूसरे ब्लॉक अथवा अन्य जिले के स्कूलों की लिस्ट में फर्जी छात्रों को आसानी से जोड़े जाते रहे और फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति राशि का भुगतान बैंक खातों में होता रहा। हालांकि पोर्टल का डाटा ऑनलाइन होने की वजह से बैंक खातों के जरिए घोटाला करने वालों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
छात्रों के नाम की एंट्री और नाम बढ़ाने-घटाने के लिए संकुल प्राचार्य व बीआरसीसी जवाबदेह
छात्रवृत्ति के लिए पात्र छात्रों की सूची संकुल प्राचार्यों को भेजी जाती है। इसके बाद आवेदन व सूची की जांच शिक्षा विभाग के पोर्टल पर छात्रों के नाम की प्रविष्टि होती है। यह प्रक्रिया करने से पहले आवेदनों की जांच संबंधित स्कूल से स्वीकृति के लिए भी सूची भेजने का प्रावधान है लेकिन संकुल प्राचार्य द्वारा इस प्रक्रिया को पूरा न कर सीधे शिक्षा पोर्टल पर छात्रों के नाम दर्ज कर दिए गए। इस तरह की जांच में संबंधित छात्र के आवेदन के साथ संलग्न पहचान पत्रों की जांच जरूरी है। पोर्टल पर छात्रों के नाम की एंट्री करना, बढ़ाना, घटाने का काम संकुल प्राचार्य व बीआरसीसी का अधिकार है क्योंकि संबंधित नोडल की आईडी पासवर्ड से ही पोर्टल पर लॉगिन किया जा सकता है।
स्कूल संचालकों का तर्क: हमारे स्कूलों को माध्यम बनाया, बिना वजह बदनामी हो रही
स्कूल संचालकों का कहना है कि एक निजी स्कूल में दर्ज कई फर्जी छात्रों की छात्रवृत्ति एक ही खाते में जमा हुई है। इसकी जांच होना चाहिए। उस समय संबंधित संकुल प्राचार्य व बीआरसीसी व शिक्षा माफिया ने शासन की राशि हड़पने के लिए प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। निजी स्कूलों को माध्यम बनाकर घोटाला किया है जिसमें हमारे स्कूलों की बिना वजह बदनामी हो रही है। ऐसे लोगों पर हर हाल में कार्रवाई होना चाहिए।
मान्यता 10वीं तक, मैपिंग 11वीं व 12वीं में हुई
पहली जांच में जिस स्कूल को गलत ठहराया गया है, दरअसल उसकी मान्यता कक्षा 10वीं तक ही है। लेकिन शिक्षा पोर्टल पर साल 2015-16 में छात्रों की कक्षा 11वीं व 12वीं में मैपिंग कर दी। 145 छात्रों की छात्रवृत्ति निकलना अपने आप में बड़ा सवाल है। जबकि स्कूल संचालक को इस बात की भनक तक नहीं हैं। बिना संकुल प्राचार्य की मिलीभगत से यह संभव नहीं है।
इन बिंदुओं पर जांच हो तो पकड़े जाएंगे छात्रवृत्ति डकारने वाले
फर्जी समग्र आईडी कहां से और किसने जनरेट की हैं।
किस कियोस्क सेंटर से फर्जी छात्रों के बैंक खाते खुले।
कियोस्क सेंटर कौन संचालित करता था।
फर्जी छात्रों की राशि बैंक खतों से किसने निकाली है।
मंगलवार को आवेदन व दस्तावेजों की जांच कर कलेक्टर को भेजेंगे
स्कूल संचालकों ने फर्जी छात्रों से संबंधित दस्तावेजों के साथ आवेदन दिया है। चूंकि शाम 7.30 बजे तक हमारी वीसी चलती रही। इसलिए मंगलवार को दस्तावेजों की जांच करेंगे। इसके बाद कलेक्टर साहब को आवेदन भेजेंगे। उनके निर्देश के बाद जांच दल गठित होगा, जो छात्रवृत्ति घोटाले की जांच करेगा।
दीपक पांडेय, जिला शिक्षा अधिकारी, शिवपुरी