मकानों के अंदर धधक रहीं शराब की भटि्टयां, हाइवे पर बेचते हैं बच्चे

मध्यप्रदेश में जगह-जगह मौत का सामान तैयार हो रहा है। गांव-ढाबों में धड़ल्ले से कच्ची शराब की भटि्टयां धधक रही हैं। भास्कर टीम प्रदेश के छह जिलों सीहोर, बड़वानी, खरगोन, धार, गुना, रतलाम और मंदसौर में जिन 40 शराब माफिया से मिली, उनमें से आधे लोग खुद भट्‌टी पर कच्ची शराब तैयार करते हैं।

पुलिस से बचने के लिए घरों में बना रहे शराब

धार जिले के धामनौद के पास बड़ी बूटी गांव में दर्जनों घरों में कच्ची शराब की भटि्टयां चल रही हैं। पुलिस से बचने के लिए लोगों ने पक्के कमरों में कच्ची शराब की भटि्टयां लगा रखी हैं। कमरों में एक तरफ पानी का टैंक बना है और दूसरी तरफ पक्की भटि्टयां। खरगोन के भीलगांव में बस्ती के अंदर छोटी-छोटी भटि्टयां हैं।

खरगोन- बड़वानी हो या धार-गुना के इलाके, बेखौफ चल रहा कारोबार
गुना से राजगढ़, आगर और विदिशा तक फैला कंजर व्हिस्की का नेटवर्क
यूरिया और ऑक्सीटोसिन का भी जमकर स्टॉक कर रखा है माफिया ने
कई जिलों में नेटवर्क: घर और ढाबों से बेचते हैं जहरीली शराब

गुना जिले के कुंभराज थाना क्षेत्र में बिड़आई नामक कस्बे के 80 फीसदी मकानों में शराब बनाई जाती है। बस्ती के बच्चों को सड़क और ढाबों पर शराब बेचने के काम में लगा दिया जाता है। दूसरा इलाका चाचौड़ा थाना क्षेत्र का भानपुरा है। यहां शराब बनाने के लिए बस्तियों के बीच में ही भटि्टयां लगाई हुई हैं। इनमें लहान यानी गुड़ का घोल, यूरिया, नौसादर, ओपी आदि का बड़ा स्टॉक है।

इस इलाके में बिकने वाली शराब को कंजर व्हिस्की के नाम से जाना जाता है। इनका नेटवर्क गुना से राजगढ़, आगर और विदिशा तक फैला है। हरेक गांव में एजेंट हैं। मोटर साइकिल से सब्जी के झोले में भरकर यह लोग शराब की तस्करी करते हैं। छोटा पाउच महज 20 रुपए का मिलता है। यहां हाइवे पर बच्चे कंजर व्हिस्की बेचते हुए मिल जाएंगे। छापा पड़ता है तो यह लोग भाग जाते हैं या फिर हमला कर देते हैं।

सुरक्षा ऐसी, परिंदा भी पर नहीं मार सकता

दो किमी दूर तक हर रास्ते पर माफिया के गुर्गे तैनात

खरगोन जिले के नर्मदा किनारे वाले इलाकों और कुछ गांव व बस्तियों में शराब बनाने का काम चल रहा है। आस-पास परिंदा भी पर नहीं मार सकता। भटि्टयों से दो किलोमीटर दूर तक वहां पहुंचने वाले हर रास्ते पर शराब माफिया और उनके लोग तैनात हैं। भास्कर टीम खरगोन के भीलगांव पहुंची तो बस्ती पहुंचने से पहले दो लोगों ने वहां आने का कारण पूछा।

किसान परेशान, यहां यूरिया का जगह-जगह स्टॉक

किसान अपनी फसल के लिए चाहे यूरिया न खरीद पाए लेकिन जहरीली शराब के कारोबारियों के पास यूरिया के भंडार भरे हैं। भास्कर टीम ने प्रदेश के जिन छह जिलों में कच्ची शराब के कारोबारियों की पड़ताल की वहां जगह-जगह यूरिया के कट्‌टे भरे नजर आए। आदिवासी इलाकों में महुए से बन रही शराब का नशा गहरा करने के लिए माफिया ने ऑक्सीटोसिन का स्टॉक कर रखा है।

जमीनी स्तर पर कार्रवाई होगी

प्रदेश के जिन इलाकों में भी जहरीली शराब बनाई जा रही है, हम उन सभी जगह टीम बनाकर कार्रवाई करेंगे।

-जगदीश देवड़ा, मंत्री, आबकारी विभाग