लाॅकडाउन-1 से अनलाॅक-3 तक आधे रह गए नाबालिगों से दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले

कोविड-19 का नकारात्मक असर तो समाज में हर ओर देखने को मिला, लेकिन इसके कुछ सकारात्मक परिणाम भी रहे हैं। नाबालिगों के साथ होने वाले अपराधों की बात करें तो गत वर्ष की तुलना इस वर्ष अपराध का ग्राफ कम रहा है। 2019 में जनवरी से नवंबर तक नाबालिगों के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ के 165 मामलों में पुलिस ने पाॅक्सो कोर्ट में चालान पेश किया था, जबकि इस साल यह आंकड़ा 102 रहा। इसमें भी गौर करें तो लाॅकडाउन-1 से अनलाॅक-3 तक यानी 30 अगस्त तक तो अपराध का ग्राफ पिछले वर्ष की तुलना काफी कम रहा है।

2019 में अप्रैल से अगस्त तक जहां 74 प्रकरणों में चालान पेश किया गया था, वहीं 2020 में ऐसे मामलों की संख्या मात्र 34 रही। हालांकि, सितंबर से लेकर नवंबर तक की स्थिति दोनों ही साल में एक जैसी रही। वर्ष 2019 में जहां 54 मामलों में चालान पेश किया गया, वहीं 2020 में यह संख्या 53 रही। चिंता की बात यह है कि नाबालिगों के साथ अपराध के मामलों में पॉक्सो कोर्ट में चालान तो पेश किए जा रहे हैं, लेकिन कोविड के चलते अप्रैल से लेकर अब तक कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई है।

स्थिति यह है कि केवल एक मामले में आरोपी को फांसी की सजा हुई। हालांकि, पूर्व में भी इस मामले में आरोपी को फांसी की सजा ही सुनाई थी। प्रक्रिया में खामी के चलते हाई कोर्ट ने इस मामले को सत्र न्यायालय को वापस कर दिया था। बाद में इस खामी को दूर कर सजा को बरकरार रखा गया।

कोविड काल में बच्चे घर से ही नहीं निकले

कोविड काल में अपराधों का ग्राफ कम ही रहा है। नाबालिगों के साथ अपराध की बात करें तो इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि बच्चे इस दौरान घर से नहीं निकले। ऐसे में अपराध घटित होने की संभावना कम हो जाती है। हालांकि, केस कम होने का एक कारण यह भी रहा होगा कि पुलिस और चाइल्ड लाइन महामारी के दौरान व्यवस्था बनाने में ज्यादा व्यस्त रही। इस कारण कई ऐसे मामले उनके संज्ञान में नहीं पहुंच पाए होंगे।