700 करोड़ का कारोबार 200 करोड़ पर सिमटा; नीलामी और लीज के नोटिफिकेशन के बीच फंसी खदानों की अनुमति

सफेद फर्शी पत्थर की खदानों के लीज या नीलामी किए जाने को लेकर राज्य सरकार के एक फैसले और उसका नोटिफिकेशन जारी न हो पाने के कारण इस सेक्टर में कारोबार काफी तेजी से गिर रहा है। ग्वालियर शहर में स्थित स्टोन पार्क से ही इस पत्थर का सालाना 700 करोड़ रुपए तक का कारोबार होता था जो अब 200 करोड़ तक ही सिमट कर रह गया है।

दरअसल, पहले इन खदानों की नीलामी हुआ करती थी 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस ने इन खदानों के लिए लीज की व्यवस्था लागू की, लेकिन इसका नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ और फिर खदानें चालू नहीं हो पाईं। अब भाजपा सरकार लीज की व्यवस्था का भरोसा स्टोन कारोबारियों को दे रही है और न ही नोटिफिकेशन जारी न होने के कारण कोई कार्रवाई कर रही है।

10 देशों में निर्यात होता था स्टोन पार्क में तैयार सफेद पत्थर

घाटीगांव, जखौदा क्षेत्र में सफेद पत्थर की संचालित 50 खदानों को 1 जून 2016 को एनजीटी की आपत्ति के बाद बंद किया गया था। 13 दिसंबर 2016 को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग ने अधिसूचना जारी कर सौन चिरैया अभयारण्य क्षेत्र से 2 किमी से ज्यादा की दूरी वाली खदानों से रोक हटा ली। उसके बाद स्थानीय वन विभाग ने भी एनओसी दे दी। लेकिन खदानें चालू ही नहीं हाे पाईं।

घाटीगांव क्षेत्र में फर्शी पत्थर की 48 खदानें थी प्रतिबंध के बाद इस क्षेत्र से वैध खनन बंद हो गया। लेकिन घाटीगांव-जखौदा क्षेत्र की खदानों में वहां के लोग अवैध खनन करते आ रहे हैं और पत्थर निकालकर बेचते हैं। माफिया के साथ इसमें खनिज और वन विभाग के अफसर मिले रहते हैं जिस वजह से माफिया गिरफ्त से बाहर रहते हैं।

मुरैना रोड पर मोतीझील के पास 2009 में शुरू हुए स्टोन पार्क में 53 इकाइयां स्थापित हुईं और यहां से सफेद पत्थर को स्थाई ताैर पर बड़ा बाजार मिला। 2016 से कच्चे माल की कमी के कारण इकाइयों के कारोबार पर संकट आ गया। फिर कारोबारियों ने मप्र सरकार से इस एरिया में दूसरा कारोबार करने की भी अनुमति मांगी और अभी इस पार्क में 3 यूनिट प्लास्टिक व फूड प्रोडक्ट की हैं। स्टोन पार्क आस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, सऊदी अरब, जापान, फ्रांस समेत यूरोप के अन्य देशों में सफेद पत्थर का माल बड़ी मात्रा में सप्लाई किया जाता है।

जनवरी में नोटिफिकेशन की उम्मीद

घाटीगांव स्थित सफेद फर्शी पत्थर की खदानों को लीज पर दिए जाने के संबंध में निर्णय होना है। इसकी प्रक्रिया में संभवत: दिसंबर का पूरा महीना बीत सकता है और जनवरी में इसके लिए नोटिफिकेशन जारी होने की उम्मीद है।
- गोविंद शर्मा, जिला खनिज अधिकारी

प्रदेश सरकार का रुख स्पष्ट नहीं

फर्शी पत्थर की खदानों को लीज पर दिया जाना है या उनकी नीलामी होगी। इस पर प्रदेश सरकार अब तक अपना रूख स्पष्ट नहीं कर पा रही। बीते दिनों जब शासन स्तर पर इस बारे में चर्चा हुई थी तो बताया गया था कि लीज प्रक्रिया ही अपनाई जाएगी। लेकिन अब तक उसका नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ।