कागजों में कम हो रही संक्रमितों की संख्या क्योंकि भोपाल भेज रहे आधे-अधूरे आंकड़े
वास्तविकता में कोरोना संक्रमण के मामले शहर में कम हो रहे हो या नहीं, लेकिन कागजों में संक्रमण जरूर घट रहा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से जारी हो रहे जिला हेल्थ बुलेटिन में संक्रमितों की जो संख्या बताई जाती है, वह भोपाल से जारी होने वाले प्रदेश स्तरीय हेल्थ बुलेटिन में पहुंचते-पहुंचते कम हो जाती है।
यही कारण है कि बीते एक सप्ताह में संक्रमण के केसों की वास्तविक संख्या 50 से ज्यादा कम हो गई है। हैरत की बात यह है कि ग्वालियर और प्रदेश स्तरीय हेल्थ बुलेटिन के आंकड़ों में केवल संक्रमितों की संख्या में ही अंतर रहता है। मृत्यु, डिस्चार्ज हुए मरीजों सहित अन्य बिंदुओं पर दी जाने वाली जानकारी के आंकड़े दोनों हेल्थ बुलेटिन में एक समान रहते हैं।
जीआरएमसी, जिला चिकित्सालय मुरार और निजी लैब व अस्पताल में होने वाली जांच की रिपोर्ट शाम तक आती हैं। चूंकि, रात में अधिकतम साढ़े आठ बजे तक बुलेटिन जारी करना होता है। ऐसे में सभी सूचियों में से केवल संक्रमितों की संख्या की गणना की जाती है। यह नहीं देखा जाता कि आज की सूची में जो संक्रमित निकले हैं, क्या वह पहले भी पॉजिटिव आ चुके हैं? ऐसे मरीजों को रिपीट पॉजिटिव कहा जाता है। इसका पता तब चलता है जब संक्रमित का नाम सूची में चढ़ाया जाता है। ऐसे संक्रमितों को रिपीट पॉजिटिव की श्रेणी में रखकर कुल संक्रमितों की संख्या में से कम कर दिया जाता है। इसलिए संक्रमितों की संख्या में अंतर आता है।
प्रदेश के सबसे ज्यादा संक्रमित शहर इंदौर की स्थिति
प्रदेश में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले इंदौर में हैं। लेकिन वहां के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के आंकड़े प्रदेश के बुलेटिन से मेल खाते हैं। यहां बता दें कि इंदौर में इन दिनों हर रोज 500 से ज्यादा केस निकल रहे हैं। फिर भी हेल्थ बुलेटिन में ग्वालियर के हेल्थ बुलेटिन से ज्यादा बिंदुओं पर जानकारी दी जा रही है। उदाहरण के लिए इंदौर में रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटीपीसीआर पद्धति से होने वाली जांच के आंकड़े अलग से दिए जाते हैं।
जेएएच... 29 दिन कितने संक्रमित निकले, स्वास्थ्य विभाग को जानकारी ही नहीं
एक से लेकर 29 नवंबर तक जेएएच में रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) से संदिग्ध मरीजों की जांच तो की गई, लेकिन परिणाम की जानकारी स्वास्थ्य विभाग से साझा नहीं की गई। इस कारण भी संक्रमितों की वास्तविक संख्या का पता नहीं चल सका। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 30 नवंबर से जानकारी मिलना शुरू हो गई है। बीते 29 दिन की जानकारी मिल जाएगी। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि 29 दिनों में जो लोग संक्रमण की चपेट में आए, उनके घरों को कंटेनमेंट जोन बनाकर, प्रोटोकाल का पालन किया गया या नहीं?
जानकारी अपलोड कर रहे हैं
जेएएच में हो रहे रैपिड एंटीजन टेस्ट की जानकारी आईसीएमआर के पोर्टल में अपलोड की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग को भी इन टेस्टों के परिणाम की जानकारी 30 नवंबर से देना शुरू कर दी है।