बसपा-कांग्रेस गठबंधन पर मोहर, मसौदा तैयार
आगामी मप्र विधानसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन को लेकर भले ही कांग्रेस अपने पत्ते नहीं खोल रही है, बसपा भी कांग्रेस से किसी भी तरह के गठबंधन पर इंकार कर रही है, लेकिन हकीकत ये है कि बसपा और कांग्रेस का गठबंधन विधानसभा चुनाव के लिए लगभग तय हो चुका है और दोनों दलों के आलाकमान में गठबंधन को लेकर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है, लेकिन इसकी घोषणा रणनीति के तहत रोकी गयी है।
फिलहाल कांग्रेस और बसपा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा चल रही है। कांग्रेस जहां बसपा के लिए कम से कम सीटें छोड़ना चाह रही है, तो बसपा की कोशिश है कि वो ज्यादा से ज्यादा सीटें गठबंधन के तहत हासिल कर पाए। जहां तक कांग्रेस की बात करें तो खुद कमलनाथ इस मसले पर मायावती और बसपा के बड़े नेताओं के संपर्क में है।
दूसरी तरफ कांग्रेस फिलहाल उन सीटों पर विचार कर रही है, जहां से बसपा चुनाव लड़ेगी। कांग्रेसी सूत्रों की मानें तो दोनों दलों के दिग्गज नेताओं की कई चरणों में हुई चर्चा के बाद गठबंधन पर मुहर लग गयी है। मौटे तौर पर दोनों दलों ने तय कर लिया है कि 2018 मप्र विधानसभा चुनाव में बसपा और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। अब सिर्फ बसपा किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उसको लेकर अंतिम दौर में चर्चा किया जाना बाकी है। गठबंधन पर सैद्धांतिक सहमति बनने के बाद दोनों दल सीटों के बंटवारे को लेकर अंतिम दौर में चर्चा करने वाले हैं।
इसके पहले दोनों दलों ने तय किया है कि दोंनो दल अपनी तरफ से एक-एक सूची तैयार करेंगे कि किन सीटों पर बसपा को चुनाव लड़ना चाहिए और कांग्रेस कौन सी सीट बसपा के लिए छोड़ने के लिए तैयार है। कांग्रेस की तरफ से इसकी जिम्मेदारी मप्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और अनुसूचित जाति वर्ग के नेता सुरेन्द्र चौधरी को सौंपी गयी थी, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट तैयार कर करीब एक हफ्ते पहले आलाकमान को सौंप दी है।
वहीं सूत्रों की मानें तो गठबंधन के फार्मूला यह तय किया गया है कि जिन सीटों पर 2008 और 2013 में बसपा ने जीत हासिल की थी, वो उन तमाम सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही जिन सीटों पर इन दोनों विधानसभा चुनाव में बसपा दूसरे नंबर पर रही है, वहां भी चुनाव लड़ेगी। इस फार्मूले के आधार पर सुरेन्द्र चौधरी ने अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंप दी है। बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस लगभग 20 सीटें बसपा को देने के लिए तैयार है। जिनमें ज्यादातर सीटें ग्वालियर चंबल और बघेलखंड की है। इसके अलावा कुछ सीटें बुंदेलखंड की है।
कांग्रेस ने एक तरह से मन बना लिया है कि वो 20 से ज्यादा सीटें बसपा के लिए नहीं छोड़ेगी, क्योकिं कांग्रेस अन्य दलों से भी गठबंधन पर विचार कर रही है और कांग्रेस की कोशिश है कि सीटों के बंटवारे में वो सीटें ही छोड़ जाएं, जहां उनका सहयोगी दल जीत सके। वहीं दूसरी तरफ चर्चा है कि बसपा करीब 26 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है। पहले तो बसपा ने 30 सीटों की मांग रखी थी, लेकिन चर्चा है कि कांग्रेस की तरफ से 20 सीटों की पेशकश के बाद बसपा 26 सीटों की मांग कर रही है।