तेजी से शहरों में लौटता पंजा
आपका सब जानते ही है कि पंजा अक्सर शहरों से पिछड़ जाता है। परंतु पिछले कुछ समय का रिकार्ड देखा जाये तो एकाएक जहां पंजा का वोट शेयर बढ़ा है, वहीं तेजी से शहरी मतदाता का झुकाव भी वापस पंजा की ओर हुआ है। पंजा को कहा जाये तो गांवों में उसका असर ज्यादा है। गांव में लोग इस पार्टी को सबसे ज्यादा तबज्जो देते है। 2014 की बात करें तो पंजा शहरों से बुरी तरह पिछड़ा था, परंतु गांवों में उसका वोट शेयर अच्छा खासा था।
लेकिन गुजरात, कर्नाटक, उत्तर पूर्वी राज्यों के आम चुनाव सहित मप्र, राजस्थान, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड व अन्य राज्यों के उपचुनाव सीधा सीधा कमल दल को संदेशा दे रहे है कि पंजा अब शहरों में बड़ी शक्ति बनता जा रहा है। शहरों के मतदाता अब पंजा पसंद कर रहे है और झूर के वोटों की बारिश कर रहे है। पिछले दिनों चित्रकूट की सीट के जीतने में पंजा पर शहरी मतदाताओं की मेहरवानी रही थी। पंजा ने जहां शहरों में तेजी से घुसपैठ की है, वहीं गांवों में भी अपना चार्म बनाये रखा है। अगर यही हालात रहे तो कमल के लिए खतरे की घंटी है।