राष्ट्रपति के बयान से नाराज AMU छात्र, बोले- या तो माफी मांगें या दीक्षांत समारोह में न आएं

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के 7 मार्च को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में होने वाले दौरे को लेकर एक नया मोड़ आ गया है. राष्ट्रपति 7 मार्च को विश्वविद्यालय में होने वाले दीक्षांत समारोह में शिरकत करने वाले हैं. बुधवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के उपाध्यक्ष सजाद सुभान ने कहा कि या तो राष्ट्रपति महोदय 2010 में अपने दिए गए एक बयान के लिए माफी मांगें और या तो वो विश्वविद्यालय में होने वाले दीक्षांत समारोह में शिरकत न करें.
बता दें कि 2010 में राष्ट्रपति ने कहा था कि 'इस्लाम और ईसाईयत' देश के लिए बाहरी हैं. ये बात उन्होंने रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कही थी. दरअसल रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए 15 फीसदी आरक्षण (10 फीसदी मुस्लिमों के लिए व 5 फीसदी अन्य अल्पसंख्यकों के लिए) की सिफारिश की थी.
इस पर टिप्पणी करते हुए कोविंद ने कहा था कि ये संभव नहीं है क्योंकि मुस्लिम व ईसाइयों को अनुसूचित जाति में शामिल करना गैर-संवैधानिक होगा. कोविंद उस समय बीजेपी के प्रवक्ता थे. जब कोविंद से पूछा गया कि फिर सिक्खों को उसी वर्ग में कैसे आरक्षण दिया जाता है. तो उन्होंने कहा कि 'इस्लाम व ईसाईयत देश के लिए बाहरी हैं'
कोविंद के दौरे का विरोध करते हुए सजाद सुभान ने कहा कि या तो वो 2010 में दिए गए इस बयान के लिए अपनी गलती मानें या तो दीक्षांत समारोह में शामिल न हों. उन्होंने ये भी कहा कि अगर कुछ गलत होता है तो इसके लिए राष्ट्रपति और कुलपति खुद इसके लिए ज़िम्मेदार होंगे क्योंकि छात्रों में उनके बयान के कारण गुस्सा है.छात्र नेता ने कहा कि या तो वो स्वीकार करें कि सभी धर्म और हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख व ईसाई भारत के हैं या तो वो कैंपस में न आएं. अगर बीजेपी सरकार व राष्ट्रपति कोविंद शांति बनाए रखना चाहते हैं तो उन्हें अपने बयान को वापस लेना चाहिए.
छात्र नेता ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति कोविंद के आने से संस्थान को कोई लाभ नहीं होगा. कुलपति ने उन्हें अपने व्यक्तिगत कारणों के चलते आमंत्रित किया है. वो संदेश देना चाहते हैं कि एएमयू ने बीजेपी सरकार व उसकी विचारधारा को स्वीकार कर लिया है.
उन्होंने कहा कि स्थानीय एमपी, एमएलए व आरएसएस के कार्यकर्ताओं को भी कैंपस के अंदर आने की अनुमति नहीं दी जायेगी और अगर उनको आमंत्रित किया जाता है तो छात्र संघ दीक्षांत समारोह का बहिष्कार करेगा और कुलपति का भी विरोध करेगा क्योंकि कुलपति अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए संस्थान का भगवाकरण करने में लगे हुए हैं.