भारत और नेपाल के बीच राजनयिक वार्ता शुरू, जानिए क्या है बातचीत का एजेंडा

भारत और नेपाल के बीच सोमवार को राजनयिक वार्ता शुरू हो गई है. काठमांडु में नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी और भारतीय राजनयिक विनय ख्वात्रा के बीच वार्ता हो रही है.

वैसे तो इस बैठक का फ्रेमवर्क पहले से तय है और इसका भारत-नेपाल के बीच किसी विवाद से लेना-देना नहीं है, लेकिन मौजूदा माहौल में इसकी अहमियत बढ़ गई है. इससे पहले शनिवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया था.

इस बातचीत के बाद दोनों देशों की ओर संबंधों को लेकर कूटनीतिक भाषा में अच्छी-अच्छी बातें कही गई हैं लेकिन इस विशेष फोन कॉल का विश्लेषण जरूरी हो जाता है. इस रिपोर्ट में यह समझने की कोशिश की जा रही है कि ओली द्वारा मोदी को फोन कॉल करने के क्या राजनीतिक मायने हैं?

15 अगस्त को नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया था. ये फोन कॉल ऐसे समय में हुआ है जब बीते कुछ हफ्तों में नेपाल की ओर से रिश्तों की मर्यादा तोड़ने वाले फैसले हुए हैं. उकसावे वाले बयान आए हैं. तो क्या यह माना जाए कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अब ये लीपापोती इसलिए कर रहे हैं, ताकि भारत को भुलावे में रखकर अपना चीन प्रोजेक्ट जारी रख सकें या फिर वाकई उन्हें समझ आ गया है कि जिस भारत से नेपाल का रोटी-बेटी का रिश्ता है उससे प्रेम का धागा चटका कर नहीं तोड़ा जाना चाहिए?

इन सवालों का सच तलाशें उससे पहले जान लीजिए कि प्रधानमंत्री ओली ने स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए पीएम मोदी को क्या कहा? सूत्रों के मुताबिक ओली ने कहा कि इस संवाद को किसी के हार जीत और किसी के झुकने और किसी के अड़ने के रूप में नहीं लिया जाए. संबंधों में सुधार हो रहा है, दोनों तरफ से प्रयास हो रहे हैं.

इसके बाद भारत की ओर से जो आधिकारिक बयान जारी हुआ, उसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री ने नेपाल के पीएम को टेलीफोन कॉल के लिए धन्यवाद दिया और भारत-नेपाल के सदियों पुराने और सांस्कृतिक संबंधों को याद किया. प्रधानमंत्री मोदी और पीएम केपी शर्मा ओली के बीच ये बातचीत सीमा विवाद शुरू होने के बाद पहली बार हुई है.

8 मई को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक सड़क का उद्घाटन किया था. इसके बाद नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना इलाका बताते हुए नया नक्शा जारी कर दिया. जून में नेपाल की संसद ने इस राजनीतिक नक्शे को मंजूरी भी दे दी. इस पर भारत ने कहा कि नेपाल ने अपनी सीमा का जो 'बनावटी क्षेत्र विस्तार' किया है, उसका कोई आधार नहीं है. अब भारत के हिस्से को लेकर नेपाल ने जो नई राजनीति शुरू की है, उस पर मोदी और ओली के बीच बात हुई या नहीं, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन ओली ने जब पीएम मोदी से बात की है तो इस बातचीत के दो दिन बाद यानी 17 अगस्त को भारत और नेपाल के बीच ओवरसाइट मैकेनिज्म के तहत बैठक हो रही है. इसमें द्विपक्षीय आर्थिक और विकास के प्रोजेक्ट्स की समीक्षा होगी.

ये ओवरसाइट मैकेनिज्म 2016 में विकसित हुआ था. 17 अगस्त की बातचीत में भारत की ओर से नेपाल में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी बातचीत करेंगे. नेपाल के कांतिपुर डेली के असिस्टेंट एडिटर बलराम बनिया की मौत को लेकर नेपाल के पत्रकार संगठन निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं.

उधर हिंदू बहुल नेपाल में पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर भी गुस्सा है. 14 अगस्त को जब पाकिस्तान अपनी स्वाधीनता दिवस मना रहा था, काठमांडू में राष्ट्रीय एकता अभियान नाम का संगठन पाकिस्तानी मिशन के खिलाफ मार्च निकाल रहा था.

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के पीएम केपी शर्मा ओली को भले ही अपनी कुर्सी बचाने के लिए चीन का साथ चाहिए या चीन, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी में मचे उथल-पुथल में ओली की मदद कर सकता हो. लेकिन ये भी तय है कि भारत, नेपाल का सबसे मजबूत सहयोगी रहा है, उसका मददगार रहा है और इसे नजरअंदाज करना नेपाल के लिए आसान नहीं है.

इस बीच नेपाल में चीन-पाकिस्तान गठजोड़ के खिलाफ दो बड़ी घटनाएं भी हुई हैं. नेपाली जमीन पर चीन का कब्जा होने की रिपोर्ट देने वाले नेपाली पत्रकार बलराम बनिया की संदिग्ध मौत पर नेपाल में हंगामा मचा हुआ है.