पाकिस्तान अब फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स के रडार पर, डाला जा सकता है काली सूची में

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के क्षेत्रीय सब-ग्रुप एशिया-पैसेफिक ग्रुप (APG) ने ब्लैक लिस्ट कर दिया है. मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को रोकने के लिए तय किए गए अधिकतर पैमानों पर पाकिस्तान के नाकाम रहने के बाद APG ने ये कदम उठाया है. ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में 22-23 अगस्त को हुई बैठक में APG ने ये फैसला किया.

पाकिस्तान की ओर से 50 पैमानों को लेकर सुधार करने संबंधी दिए गए तर्कों पर उसे APG में कहीं से कोई समर्थन नहीं मिला. सूत्रों के मुताबिक मानकों से मेल ना बिठा पाने के लिए पाकिस्तान को “Enhanced Expedited Follow Up List” (ब्लैक लिस्ट) में डाला गया है.

पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बावजूद 41 सदस्यों वाले खास सत्र में एक पैमाने पर भी सुधार को मान्यता देने के लिए समर्थन नहीं मिला. दो दिन की बैठक में 7 घंटे से अधिक तक विमर्श हुआ.

इससे पहले पाकिस्तान ने बुधवार को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स को अनुपालन रिपोर्ट सौंपी. इसमें 27 सूत्री कार्ययोजना (एक्शन प्लान) का उल्लेख है. इस संबंध में एपीजी ने पाया कि इस्लामाबाद की ओर से कई मोर्चों पर खामियां हैं. पाकिस्तान को एमईआर और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एक्शन प्लान, दोनों मोर्चों पर असरदार अनुपालन दिखाना है. अक्टूबर में फ्रांस में होने वाले FATF के पूर्ण सत्र में पाकिस्तान के मामले की अंतिम समीक्षा की जाएगी.

अब पाकिस्तान का फोकस अक्टूबर में FATF में खुद को ब्लैक लिस्ट से बचाने पर होगा. FATF के 27 सूत्री कार्ययोजना के लिए तय 15 महीने की समयसीमा अक्टूबर में ही ख़त्म हो रही है.

भारत को समर्थन करने वाले अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड के दबाव के बाद फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को जून 2018 से संदिग्ध सूची में डाला था.

APG ने पाकिस्तान की दस वर्षीय समीक्षा 22-23 अगस्त की बैठक में की. बैठक में पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल की अगुआई डॉ रेज़ा बाक़िर ने की. बाक़िर ‘स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान’ के गवर्नर हैं.