लॉकडाउन में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले, महिलाओं की सुरक्षा के लिए HC में
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के मोदी सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन कर रखा है. इसके चलते लोगों का कामकाज ठप हो गया है और घरों में कैद हो गए हैं. लिहाजा लोग अपने परिवार के साथ घर में समय गुजार रहे हैं, लेकिन कुछ महिलाओं और बच्चों के लिए लॉकडाउन ने संकट पैदा कर दिया है.
- याचिका में अस्थायी शेल्टर होम और नोडल अधिकारी तैनात करने की मांग
- शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट इस जनहित याचिका पर कर सकता है सुनवाई
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा देखने को मिला है. लिहाजा इसको रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई है. याचिका में मांग की गई कि महिलाओं और बच्चों की भलाई के लिए हाईकोर्ट मामले में दखल दे.
पीआईएल में कहा गया कि राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के आंकड़ों से पता चलता है कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में काफी इजाफा हुआ है. इस याचिका में कोर्ट से हेल्पलाइन शुरू करने, नोडल अधिकारी को तैनात करने और महिलाओं व बच्चों की काउंसलिंग करने के लिए आदेश देने की भी मांग की गई.
इसके अलावा पीआईएल में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए अस्थायी शेल्टर होम बनाने की भी अपील की गई है. अब दिल्ली हाईकोर्ट इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई कर सकता है. इस जनहित याचिका को इंडिया काउंसिल ऑफ ह्यूमन राइट्स, लिबर्टीज एंड सोशल जस्टिस नामक एनजीओ ने दाखिल की है.
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया है. स्कूल, कॉलेज, मॉल, मंदिर, मस्जिद, क्लब समेत सभी सार्वजनिक स्थलों पर ताला जड़ दिया गया है. सड़कें और गलियां वीरान हो गई हैं. लॉकडाउन के बावजूद कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.
अब तक भारत में कोरोना वायरस के 12 हजार 758 से ज्यादा हो चुकी है, जिनमें से 420 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, दुनियाभर में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 20 लाख 70 हजार से ज्यादा हो चुकी है, जिनमें से एक लाख 37 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.