देश में कैश की किल्लत, कर्नाटक में चुनाव से पहले पुलिस ने जब्त किए 34 करोड़ रु.
आप सोच रहे हैं कि डिमोनेटाइजेशन के बाद चुनाव में कैश बंटने बंद हो जाएंगे तो आप गलत हैं. कर्नाटक चुनाव में इन दिनों धड़ल्ले से कैश बांटे जा रहे हैं. पिछले दिनों देश के कई राज्यों में कैश की किल्लत की खबरें आई थी लेकिन ऐसा लग रहा है कि कर्नाटक में नेताओं के पास कैश की भरमार है.
विधानसभा चुनाव को देखते हुए 20 दिन पहले कर्नाटक में आचार संहिता लागू किया गया था. लेकिन इस दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्सों में ढेर सारा कैश जब्त किए गए हैं. ज़रा इन आंकड़ों पर गौर कीजिए. साल 2013 के विधानसभा और 2014 में लोकसभा चुनाव में आचार संहिता के दौरान जितने कैश जब्त किए गए थे, उससे दोगुना कैश इस बार पुलिस ने जब्त किया है.
कर्नाटक में पिछले 20 दिनों में 34 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं. जबकि 2013 में पूरे मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के दौरान सिर्फ 14 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान 28 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे.
इसके अलावा इस बार 19 करोड़ रुपये से ज्यादा के गिफ्ट भी जब्त किए गए हैं. जिसमें साड़ी, लैपटॉप, घरेलू सामान जैसे हेलमेट और कुकर भी शामिल हैं. 2013 में ये आंकड़ा शून्य था और 2014 में सिर्फ 6.7 करोड़ रुपये का था.
चुनाव अधिकारियों के मुताबिक इस बार अब तक भारी मात्रा में कैश, शराब, गिफ्ट और सोना पकड़ा गया है. राज्य के नेताओं ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इतना ही नहीं साल 2014 के मुकाबले इस बार तीन गुना ज्यादा गैरजमानती केस रजिस्टर्ड किए गए हैं.
चुनाव अधिकारियों का कहना है कि 2013 में 50 दिनों के मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के दौरान 67,000 लीटर से ज्यादा शराब जब्त की गई थी. 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान 72 दिनों के मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के दौरान लगभग 44,000 लीटर शराब पुलिस ने पकड़ा था. ये शराब मतदाताओं को रिश्वत के तौर पर दिए जाने थे.
इस बार अब तक राज्य के अलग-अलग हिस्सों से 1.92 लाख लीटर शराब जब्त किए हैं. जबकि आचार संहिता खत्म होने में अभी 26 दिन बाक़ी है. यानी आने वाले दिनों में ये आंकड़ा हर किसी को हैरान कर सकता है. इतना ही नहीं इस बार अब तक 3 करोड़ रुपये से ज्यादा का सोना भी जब्त किया गया है.
कर्नाटक में एक ही चरण में 12 मई को चुनाव होंगे. कर्नाटक चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए काफी अहम माना जा रहा है. 224 सीटों में से सरकार बनाने के लिए 113 सीटों की जरूरत होती है. सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास 122 सीटें हैं जबकि बीजेपी के पास 43 और जेडीएस के पास 37 सीटें हैं.