राजा साहब दिल और मन के भंवर में फंसे
जल्द ही राजा-महाराजा के एक होने का ऐलान हो सकता है। सूत्रों की मानें तो राजा साहब भी महाराजा के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का मन बना चुके है। परंतु उनका दिल रह-रह कर छिंदवाडा के लिए भी धड़कता है। देखना है राजा साहब मन की सुनते है या दिल की।
यहां बता दें कि साल के अंत में होने वाले राज्य आम चुनाव कांग्रेस के लिए नाक का सवाल है। लगातार तीन बार से राज्य में करारी हार झेल रही कांग्रेस के लिए अब यह चुनाव भविष्य की राह तय करेगा इसलिए खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यहां अपनी निगाह गढ़ाये बैठे है। उनके दौरें भी मप्र में जल्द शुरू होने की संभावना है, लेकिन उससे पहले राज्य में कांग्रेस को गुटबाजी से उबरना होगा। बड़े नेताओं में आपसी मनमुटाव किसी से छिपा नहीं है।
इधर महाराजा को खुद के सीएम प्रोजेक्ट होने का इंतजार है। वहीं छिंदवाडा को भी इसी पद की लालसा है। परंतु राजा साहब के नर्मदा परिक्रमा में बिजी होने से कैंडिडेट का ऐलान अभी तक नहीं हो पाया है। खुद राहुल गांधी भी राजा साहब के वापस राजनीति की मुख्यधारा में लौटने के इंतजार में है। 9 तारीख को परिक्रमा के समापन पर सबकी नजर है। यहीं से राजा साहब मप्र में कांग्रेस के भविष्य पर अपना फैसला ले सकते है। उम्मीद है कि राजा-महाराजा की जोड़ी बनेगी। या फिर राजा दिल की सुनेंगे।