कैश फॉर वोट' मामले में बढ़ सकती हैं चंद्रबाबू नायडू की मुश्किलें
एनडीए से नाता तोड़ चुके आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. 2015 में हुए कैश फॉर वोट मामले में आरोपी रह चुके जेरुसलम मथाई ने आरोप लगाया है कि चंद्रबाबू नायडू के इशारे पर उसे जान से मारने की धमकियां मिल रही है. जेरुसलम मथाई सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 'कैश फॉर वोट' मामले की सीबीआई जांच की मांग कर चुका है.
मथाई का कहना है कि सीबीआई जांच की मांग के बाद से नायडू के लोग उसे धमकियां दे रहे हैं कि वो सीबीआई जांच की मांग वापस ले ले. न्यूज 18 से एक्सक्लूसिव बातचीत में जेरुसलम मथाई ने कहा कि 'कैश फॉर वोट मामले में वो मुझे मारकर अपनी गलती छिपाना चाहते हैं. चंद्रबाबू नायडू और रेवंत रेड्डी ने मुझे कहा था कि मैं विधायक (एल्विस स्टीफेंशन) से बात करूं. उनके बोलने पर मैंने विधायक से 5 करोड़ का सौदा तय किया था. अब इस मामले में वो लोग फंस रहे हैं, इसीलिए मुझे खत्म करना चाहते हैं. चंद्रबाबू नायडू के एक खास आदमी ने मुझे कहा कि अगर इस मामले में सरकारी गवाह बना और सच्चाई बताई तो मैं अपनी जान से हाथ धो बैठूंगा. मेरी सभी से दरख्वास्त है कि मेरी जान बचाओ. इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए'.
मथाई के मुताबिक, विधायक खरीदने के लिए टीडीपी ने उसका इस्तेमाल किया और फिर चंद्रबाबू नायडू को धमकाने के लिए टीआरएस ने उसका इस्तेमाल किया. एसीबी ने जेरुसलेम मथाई को कैश फॉर वोट मामले में आरोपी बनाया था, लेकिन हाईकोर्ट जेरुसलेम मथाई को आरोपों से मुक्त कर चुकी हैं. जेरुसलेम मथाई अब सरकारी गवाह बनना चाहता है और इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है.
मथाई कहता है कि 'वो लोग मुझे मारने को तैयार हैं और इधर (तेलंगाना में) मुझे सुरक्षा नहीं दी जा रही. 30 तारीख को हमारे खिलाफ कैश फॉर वोट का केस दर्ज हुआ था. लेकिन उससे पहले 23 मई को ही तेलंगाना की के.चंद्रशेखर राव सरकार ने लिखित आदेश देकर टेलीफोन सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद से फोन टैप करवाए थे. फोन टैप करवाना भी अपराध है. फोन टैपिंग की पूरी सच्चाई हाईकोर्ट में सील कवर में सौंपी जा चुकी है. (चंद्रबाबू नायडू) बाबू के फोन की आवाज की एफएसएल जांच भी अदालत में सील कवर में सौंपी जा चुकी है. कैश फॉर वोट मामले में अगर ये (चंद्रबाबू नायडू) फंस सकते हैं तो फोन टैपिंग में वो (के.चंद्रशेखर राव) फंस सकते हैं. लिहाजा दोनों ने साठगांठ कर ली है. तुम कैश फॉर वोट मामले में शांत हो जाओ और हम फोन टैपिंग में शांत हो जाते हैं'
दलित ईसाई जेरुसलम मथाई सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कह चुका है कि वो कैश फॉर वोट मामले में सरकारी गवाह बनने को तैयार है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 4 अप्रैल को होनी है. मथाई ने बताया कि साल 2015 में तेलंगाना के विधान परिषद चुनाव के दौरान टीडीपी ने 5 विधायकों को खरीदने की कोशिश की थी. वोट के बदले विधायक को 5 करोड़ रुपये और मथाई को कमीशन के तौर पर 50 लाख रुपये देने का वादा किया गया था. रुपयों के लालच में उसने ईसाई समाज से ताल्लुक रखने वाले मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंशन से बातचीत की थी. लेकिन चुनाव में विधायकों की खरीद फरोख्त की आशंका के चलते तेलंगाना के कई विधायकों के फोन पहले ही टैपिंग पर लगवा दिए गए थे. मथाई का कहना है कि फोन टैप करने का आदेश मुख्यमंत्री कार्यालय से दिया गया था और पुलिस के कहने पर सर्विस प्रोवाइडर्स ने फोन टैप किए थे. इसी फोन टैपिंग से तेलंगाना सरकार को मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंशन के साथ चल रही सौदेबाजी की जानकारी लगी. यह घटना 23 मई 2015 की है.
इसके बाद सरकार के इशारे पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने रुपयों के लेन-देन की वीडियो रिकॉर्डिंग का जाल बिछाया. 30 मई को मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंशन के घर पर 50 लाख रुपयों का बैग देते हुए टीडीपी विधायक रेवंत रेड्डी कैमरे में कैद हो गए. बातचीत में रेवंत रेड्डी बोलते हुए सुनाई दिए कि 50 लाख रुपये पेशगी है और टीडीपी के विधान परिषद उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालने के बाद बाकी 4 करोड़ 50 लाख रुपये दिए जाएंगे. फोन टैपिंग में के दौरान कथित तौर पर एसीबी के हाथ एक फोन कॉल की रिकॉर्डिंग लगी, जिसकी आवाज चंद्रबाबू नायडू की बताई जा रही थी. इसके बाद अदालत ने एसीबी को मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ जांच को हरी झंडी दे दी. लेकिन नायडू को एसीबी कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट से स्टे मिल गया. हाईकोर्ट के स्टे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जो पिछले एक साल से विचाराधीन है.
कैश फॉर वो मामले की जांच तेलंगाना का एंटी करप्शन ब्यूरो कर रहा है. शुरूआत में जांच तेजी से आगे बढ़ी और चंद्रबाबू नायडू के कथित फोन कॉल की एफएसएल जांच भी कराई गई. अदालत में एसीबी ने टीडीपी विधायक रेवंत रेड्डी, बिशप हैरी सेबेस्टियन और रुद्र उदय सिम्हा के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. एसीबी ने कहा कि वो इस मामले में सपलीमेंट्री चार्जशीट फाइल करेगी, जो आज तक फाइल नहीं की गई. मामले की जांच सुस्त हो चुकी है.
वाईएसआर कांग्रेस के विधायक रामकृष्ण रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट से मामले को जल्द निपटाने और सीबीआई जांच का आदेश देने की गुहार लगाई है. रामकृष्ण रेड्डी का कहना है कि केस को जल्द निपटाने के लिए वो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठी भी लिखने वाले हैं. रेड्डी का आरोप है कि चंद्रबाबू नायडू कभी नहीं चाहेंगे कि इस केस का फैसला जल्द आ सके.
बीजेपी विधायक रामचंद्र राव का कहना है कि दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच साठगांठ की वजह से जांच सुस्त पड़ गई है. दोनों एक दूसरे की सहायता कर रहे हैं. यह सब राजनीतिक फायदे के लिए चल रहा है. जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी का किला खड़ा करने के बाद आंध्र प्रदेश की राजनीति में कदम रखने वाले राम माधव का कहना है कि 'अब तक टीडीपी और मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू सवाल कर रहे थे, अब हम सवाल करने वाले हैं और उन्हें जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए. हम पूरे सबूत सामने रखकर जवाब मांगेगे'. राम माधव के बयान से साफ है कि बीजेपी अब चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करेगी. पोलावरम परियोजना, नई राजधानी निर्माण समेत कैश फॉर वोट मामला अब आंध्र की राजनीति के केंद्र में आ सकता है.