370 पर अकेले पड़े इमरान, घर में भी घिरे, मुस्लिम देशों ने भी दिया झटका
जम्मू-कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान कितना असहाय और मजबूर हो गया है, इसकी झलक मंगलवार को संसद के संयुक्त सत्र में प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान में ही मिल गई. विपक्ष के सवालों से झल्लाए हुए इमरान खान पूछ बैठे, आखिर आप मुझसे क्या चाहते हैं? हम क्या करें? क्या हम हिंदुस्तान पर हमला कर दें?
पाकिस्तान के विपक्षी दल के नेता शहबाज शरीफ और इमरान खान के बीच हुई छोटी सी बहस पाकिस्तान सरकार की लाचारगी को बयां कर गई. इमरान खान ने कहा कि वे दुनिया भर के नेताओं से फोन कर मदद मांग रहे हैं और कश्मीर पर हर संभव विकल्प पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने जब विपक्ष से ही पूछ लिया कि बताइए क्या किया जाए तो शहबाज केवल यह कहकर चुप हो गए कि उन्हें मजबूती से अपना पक्ष रखना चाहिए और इस मुश्किल घड़ी में देश में उत्साह भरना चाहिए.
पाकिस्तान ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार खत्म करके और कूटनीतिक संबंधों में कमी लाने का जो फैसला किया है, उससे भारत से ज्यादा पाकिस्तान पर ही असर पड़ेगा. कूटनीतिक मोर्चे पर इमरान खान की सारी उम्मीदें धाराशायी हो चुकी हैं. दुनिया भर के नेताओं से लेकर हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर, इमरान खान कश्मीर के मुद्दे को उठा रहे हैं लेकिन उनके कंधे पर हाथ रखने वाला कोई नहीं है. यहां तक कि कई मुस्लिम देश भी भारत के साथ खुलकर खड़े हो गए हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूएई के राजदूत ने भारतीय कदम का स्वागत किया है. जहां अधिकतर मुस्लिम देश कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले पर खामोश हैं, वहीं, यूएई ने खुलकर भारत का समर्थन किया है. दुबई आधारित न्यूज एजेंसी गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में यूएई राजदूत डॉ. अहमद अल बन्ना ने कहा कि राज्यों का पुर्नगठन आजाद भारत के इतिहास में कोई अनोखी घटना नहीं है और इसका मकसद क्षेत्रीय असमानता को खत्म करना रहा है. उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि भारत सरकार के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद मिलेगी. यूएई राजदूत ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित फैसला भारत का आंतरिक मामला है.
मालदीव की सरकार ने कहा कि भारत ने अनुच्छेद 370 को लेकर जो फैसला किया है, वह उसका आंतरिक मामला है. सभी संप्रभु राष्ट्र के पास अधिकार है कि वह कानून में बदलाव कर सकता है.
वहीं, सऊदी अरब की आधिकारिक न्यूज एजेंसी ने बताया है कि सऊदी क्राउन प्रिंस को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ से फोन कॉल आया था. इस दौरान क्राउन प्रिंस को कश्मीर के बदले हालात पर भी जानकारी दी गई. हालांकि, सऊदी की तरफ से ना तो पाक को कोई समर्थन मिला और ना ही सऊदी की तरफ से कोई बयान आया.
पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन ने सख्त लफ्जों में बयान जारी किया लेकिन उसका पूरा ध्यान लद्दाख को लेकर था जहां पर वह अपना क्षेत्रीय दावा पेश करता रहता है. भारत की ओर से लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किए जाने पर आपत्ति जताते हुए चीन ने मंगलवार को कहा कि यह कदम उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता के खिलाफ है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुवा चुनयिंग ने जम्मू-कश्मीर में भारत द्वारा किए गए बदलावों पर कहा, "हाल के दिनों में भारतीय पक्ष ने अपने घरेलू कानूनों को इस तरह से संशोधित किया है, जिससे चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता को कमजोर किया जा सके. यह अस्वीकार्य है." उन्होंने कहा, "हम भारतीय पक्ष से सीमा मुद्दे पर सावधानी बरतने का आग्रह करते हैं, ताकि दोनों पक्षों के बीच पहुंचे संबंधित समझौतों का सख्ती से पालन किया जा सके और सीमावर्ती मुद्दे और न उलझें."
वहीं, पाकिस्तान की चिंता पर चीन ने सिर्फ कश्मीर के विवादित क्षेत्र होने का जिक्र करते हुए कहा कि संबंधित पक्षों को संयम बरतने की जरूरत है. दोनों देशों को ऐसी कोई भी कार्रवाई करने से बचना चाहिए जिससे यथास्थिति में बदलाव हो और तनाव बढ़े.