चंद्रबाबू नायडू के NDA से नाता तोड़ने में देरी पर कैसे जगनमोहन रेड्डी ने खेला दांव
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को हमेशा सही समय पर सही फैसला लेने के लिए जाना जाता है. हालांकि इस बार वो थोड़ा चूक गए. अब नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न दिया जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए एनडीए को छोड़ने का फैसला कर लिया है. हालांकि पिछले साल से ही टीडीपी में असंतोष शुरू हो चुका था लेकिन नायडू ने अपनी पार्टी से 'मित्र धर्म' निभाने को कहा.
हालांकि टीडीपी के नेताओं को ये डर सता रहा था कि इस देरी से पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनावों में बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. फरवरी में जब केंद्रीय बजट घोषित किया गया था तो चंद्रबाबू नायडू ने अगुवाई कर आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा न दिए जाने के बाबत खुलकर नाराजगी जताई थी. उन्होंने एक आपातकालीन उच्चस्तरीय रणनीति बैठक बुलाई थी लेकिन इस समय उन्होंने इंतजार करने का फैसला किया.
लेकिन इस देरी से टीडीपी पर दबाव बना क्योंकि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने इसका फायदा उठाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि अगर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जाता तो वो इस्तीफा दे देंगे और संसद के बाहर धरने पर बैठ जाएंगे.
नायडू ने इससे पहले विशेष दर्जे के बजाय विशेष पैकेज को स्वीकार कर लिया था. इसके अलावा टीडीपी ने पिछले 4 सालों से केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर सवाल नहीं किया था. लेकिन विपक्षी पार्टी का दबाव बढ़ने पर उन्हें अपनी रणनीति बदलनी पड़ी. और एक के बाद एक कदम उठाते हुए पहले संसद में विरोध प्रदर्शन कर अपनी मांगें उठाई, इसके बाद मंत्रियों ने अपना पद छोड़ा और आखिरकार टीडीपी ने एनडीए गठबंधन छोड़ने का फैसला कर लिया.
राज्य सरकार की अध्यक्षता की वजह से नायडू की भी कुछ मजबूरियां थीं जो केंद्र सरकार पर सीधे तौर पर हमला करने से उन्हें रोक रही थीं. इसे अलावा इसकी कुछ और वजहें भी थीं.
सबसे पहले तीसरे मोर्चे की कोई बात नहीं थी इसलिए नायडू के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था. दूसरी वजह सभी संभव विकल्पों को तलाशे बिना नायडू ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहते थे और आखिरी में नायडू यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि वाईएसआर कांग्रेस एनडीए के गठबंधन में कहीं उसकी जगह तो नहीं लेने वाली.
लेकिन सभी पासे पलट गए और मोदी सरकार पर वादे पूरे न करने का आरोप लगाते हुए टीडीपी ने गठबंधन तोड़ दिया. लेकिन अब विशेष दर्जे का मुद्दा आंध्र की राजनीति से परे चला गया है और अब ये राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है. एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का फैसला कर नायडू ने केंद्रीय स्तर पर कदम उठाया है. कई विपक्षी पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव पर टीडीपी को समर्थन देने का फैसला किया है और साल 2019 में बीजेपी के खिलाफ तीसरा मोर्चे पर बातचीत चल रही है.