अटेर का किला -सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण, राजपूत और मुगल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है अटेर का किला

ग्वालियर. चम्बल संभाग के भिंड जिले के नजदीक अटेर का किला है जो कि मध्यप्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। यह किला चम्बल नदी के किनारे बसा हुआ है। इसे अपनी भव्यता और प्राचीन स्थापत्यकला के लिये जाना जाता है। इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में भदौरिया राजाबदन सिंह, महासिंह और जुझार सिंह के शासनकाल में करवाया गया था।
किले का महत्व
अटेर का किला सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण था। यह किला राजाओं के निवास के साथ-साथ दुश्मनों पर नजर रखने के लिए एक रणनीतिक स्थान के रूप में भी उपयोग किया जाता था। इसकी ऊंची दीवारें, विशाल द्वार, और सुरक्षात्मक गढ़ इसकी मजबूती को दर्शाते हैं।
वास्तुकला
अटेर किला मुगल और राजपूत वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। इसमें बने कक्ष, आंगन, और गुप्त सुरंगें इसकी स्थापत्य कुशलता को उजागर करते हैं। किले में पत्थर और चूने का उत्कृष्ट उपयोग किया गया है।
भौगोलिक स्थिति
यह किला भिंड शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर चंबल नदी के किनारे स्थित है। आसपास के प्राकृतिक दृश्य इसे और भी अधिक आकर्षक बनाते हैं।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान समय में अटेर किला खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन इसके अवशेष इसकी प्राचीन महिमा और गौरवशाली इतिहास की कहानी कहते हैं। यह किला पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है और इतिहास प्रेमियों के लिए एक विशेष स्थान रखता है। अटेर किला न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि यह अतीत की वीरता और गौरव की याद दिलाने वाला एक प्रतीक है।