शारदीय नवरात्र आज से प्रारंभ, जगह-जगह होंगे गरबा के छोटे-छोटे आयोजन, लगभग 300 पण्डल सजेंगे

ग्वालियर. शारदीय नवरात्र का प्रारंभ गुरूवार को चित्रा नक्षत्र, कन्या राशि स्थित चन्द्र में होगा। दुर्गा नवमी 14 अक्टूबर को होने की वजह से नवरात्र इस बार 8 दिन के होंगे। शहर में 300 पण्डालों में देवी प्रतिमा स्थापित की जायेगी। ज्योतिषाचार्य पंडित विजयभूषण बेदार्थी के अनुसार प्रतिपदा तिथि की शुरूआत बुधवार की शाम 4.34 बजे से हो गया है।

यह तिथि दूसरे दिन गुरूवार की दोपहर 1.46 बजे तक रहेगी। इसलिये प्रतिपदा गुरूवार के दिन सूर्योदय व्यापिनी होने की वजह से शारदीय नवरात्र गुरूवार से प्रारंभ होंगे। इस बार तृतीय और चतुर्थी तिथि का योग शनिवार 9 अक्टूबर को हने और चतुर्थी तिथि का क्षय होने से नवरात्र 8 ही दिन मनायी जायेगी।

मांढ़रे की माता

आमखो पहाड़ी पर स्थापित मांढ़रे की माता का मंदिर हैं। माता की प्रतिमा को महाराष्ट्र के मांढर गांव से पुजारी अशोक राव मांढरे के पूर्वज आनंद राव मांढरे संवत 1930 में लाए थे। उन्हें माता ने यहां पर स्थापना के लिए सपना दिया था। तत्कालीन शासक जयाजीराव सिंधिया ने मंदिर की स्थापना के लिए जमीन दी थी। मंदिर के पास ही जयारोग्य अस्पताल स्थित है।

सांतऊ शीतला माता

ग्वालियर से 20 किमी दूर स्थित सांतऊ मंदिर की स्थापना 352 साल पहले 1669 में की गई थी। यहां रहने वाले गजाधर बाबा गायों को लेकर गोहद के खरौआ गांव के जंगल में जाते थे। वहां पर देवी का मंदिर स्थापित था। वह गायों की देखभाल के साथ देवी आराधना करते थे। उनकी सेवा और भक्ति से देवी सांतऊ गांव आईं।

नहर वाली माता

नाका चंद्रबदनी क्षेत्र में नहरवाली माता का मंदिर है। 250 साल पहले उनके ओझाराम भगत मां की प्रतिमा को नगरकोट से लाए थे और यहां पाटौर में स्थापित की थी। पाटौर के नजदीक ही नहर बहती थी इसलिए यह मंदिर नहरवाली माता के नाम से प्रचलित हो गया। मंदिर में बाघंबरी देवी की प्रतिमा स्थापित है।

पहाड्य वाली माता

नई सड़क पर पहाड्य वाली माता का मंदिर है। देवी की प्रतिमा राजस्थान के डीडवाना गांव से लाकर स्थापित की गई थी। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि राजस्थान के जिला नागौर के पास डीडवाना गांव है। यहां पर सेठ धन्नादास रहते थे। उन्हें देवी मैया ने प्रतिमा स्थापित करने का सपना दिया था। सेठ ने वैसा ही किया।

काली माता

ओल्ड हाईकोर्ट वाली गली स्थित मां काली का मंदिर 300 साल पुराना है। यह मंदिर मां काली हाई कोर्ट वाली के नाम से भी जाना जाता है। सन् 1725 में मां काली की प्रतिमा स्थापित की थी। इसके साथ ही इस मंदिर प्रांगण में हनुमान जी की भी प्रतिमा है। मान्यता है कि शनिवार के दिन मां काली के दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है।