सीमा पर 'शक्ति' बढ़ा रहा है भारत, LAC पर चीन से अगली सैन्य बैठक की डेट तय नहीं
नई दिल्ली. बीते करीब सवा साल से भारत (India) और चीन (China) के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चल रहा विवाद अब भी जारी है. करीब एक हफ्ते पहले दोनों देश अगले दौर की मिलिट्री कमांडर स्तर की वार्ता के लिए तैयार हुए था. तब कहा गया था कि ये बैठक जल्द से जल्द की जाएगी. लेकिन शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि अभी तक इस मीटिंग की डेट नहीं फाइनल हुई. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष वर्किंग मैकेनिजम फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) की बैठक में मिलिट्री कमांडर लेवल वार्ता के लिए तैयार हुए थे, लेकिन अभी तक इस बैठक पर कोई अपडेट नहीं है.
ये भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच 12वें राउंड की बैठक होगी. इससे पहले की बैठकों में कोई सर्वस्वीकार्य हल नहीं निकल पाया है. हाल ही में भारत ने चीनी सीमा से सटे इलाकों में करीब 50 हजार सैनिकों की तैनाती की है. इसे ड्रैगन के खिलाफ भारत के बेहद सख्त रुख के तौर पर देखा जा रहा है. जानकारी के मुताबिक इस वक्त चीनी सीमा पर करीब 2 लाख से ज्यादा सैनिकों की तैनाती है जो पिछले साल के मुकाबले 40 प्रतिशत ज्यादा है.
LAC सहित अन्य बॉर्डर पर लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रहा है भारत
बीते साल चीन के साथ सीमा विवाद की शुरुआत होने के बाद से ही भारत LAC सहित अन्य बॉर्डर पर लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रहा है. तेजी के साथ रोड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जा रहे हैं और हथियारों की इमरजेंसी खरीद भी की गई है. फ्रांस से खरीदे गए 36 राफेल जेट में से भारत को 23 विमान मिल गए हैं, जबकि 13 और मिलने बाकी हैं. हालांकि ये खरीद 2016 में ही हुई थी. चीन से विवाद के बीच राफेल जेट की वजह से वायुसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है.
हाल ही में ड्रैगन के साथ लगी पूर्वी सीमा पर राफेल लड़ाकू विमानों को तैनात करने का फैसला किया गया है. पश्चिम बंगाल स्थित हासिमारा एयरबेस पर राफेल विमानों की औपचारिक तैनाती से पहले भारतीय वायुसेना ने दूसरी स्क्वॉड्रन तैयार कर ली है, जिसे नाम दिया गया है- '101 फॉल्कन्स ऑफ छम्ब एंड अखनूर'. इस स्क्वॉड्रन के तहत राफेल लड़ाकू विमानों को चीन के साथ लगी पूर्वी सीमा पर तैनात किया जाएगा.
भारत साफ कर चुका है अपना स्टैंड- सामान्य संबंधों के लिए सीमा पर शांति जरूरी
इन सारी तैयारियों के बीच भारत लगातार चीन को संदेश देता रहा है कि वह सीमा पर शांति चाहता है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी साफ कर चुके हैं कि सीमाओं पर अशांति के साथ दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं रह सकते.