ज्यादा कीमत पर हुईं सिर्फ 1720 रजिस्ट्री के आधार पर तैयार कर दिया 128% बढ़ाेतरी का प्रस्ताव

कलेक्टर गाइडलाइन में 128 फीसदी तक बढ़ाेतरी के प्रस्ताव पर सवाल खड़े हाे रहे हैं। वजह है इसके समर्थन में उपमूल्यांकन समिति द्वारा जुटाए गए अाधार। समिति ने गाइडलाइन से ज्यादा कीमत पर हुईं 1720 रजिस्ट्री को सबसे अहम माना है लेकिन क्या ये रजिस्ट्रियां सारे शहर में बेतहाशा मूल्य वृद्धि के लिए आधार मानी जा सकती हैं? इस पर पंजीयन विभाग के पूर्व अफसर सहमत नहीं हैं। इसी तरह बैंक द्वारा नीलाम की गई प्राॅपर्टी की कीमत और उप पंजीयकों की सर्वेक्षण रिपोर्ट को आधार बनाया गया है लेकिन इन दोनों आधार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

उपमूल्यांकन समिति ने एक संक्षेपिका तैयार की है, इसमें शहर की 8 फीसदी जमीन व्यावसायिक मानी गई है। 3649 लोकेशन में 20 नईं जोड़ी गईं हैं। शहर में 436 स्थानों पर आवासीय व व्यावसायिक रेट सामान किए गए हैं। दोनों वृत के 712 स्थानों पर अब कृषि भूमि नहीं बची है, जहां पर है वहां 10 फीसदी रेट बढ़ाने का प्रस्ताव है। मुरार क्षेत्र के वृत-2 की तुलना में लश्कर क्षेत्र के वृत-1 में ज्यादा रेट प्रस्तावित किए हैं। भास्कर ने इसे लेकर पड़ताल की।

उपमूल्यांकन समिति ने ये 3 आधार बताए लेकिन एक भी सही नहीं

पहला आधार: जनवरी से दिसंबर 2020 तक शहर में 1720 ऐसी रजिस्ट्री छांटी गईं हैं, जिनमें गाइडलाइन से ज्यादा कीमत पर प्राॅपर्टी खरीदी या बेची गई। जबकि सालभर में हुईं 42133 रजिस्ट्री के मुकाबले में ये ऐसे दस्तावेज महज 4% हैं। जानकाराें का तर्क है कि ये रजिस्ट्री उन लाेगाें ने कराईं, जिन्हाेंने बैंक से लाेन लिया। बैंक आमताैर पर लोन मूल्य का 90 फीसदी देते हैं। खरीदाराें ने मार्जिन मनी न देना पड़े इसलिए प्राॅपर्टी की कीमत बढ़ाकर बताई।

दूसरा आधार: उप पंजीयकों द्वारा 580 दस्तावेज की सर्वेक्षण रिपोर्ट एकत्रित की हैं। इनमें वे अलग-अलग एरिया की रेट लिखते हैं, लेकिन वास्तविकता ये है कि ये ये सर्वेक्षण मनमाफिक है। ये सिर्फ लोगों से पूछकर लिखी गई रेट को उल्लेखित करता है। जानकारों का मानना है कि उप पंजीयक कभी फील्ड में नहीं जाते और इसलिए उन्हें ये जानकारी नहीं होती है कि किस क्षेत्र में प्रॉपर्टी का वास्तविक रेट क्या है।

तीसरा आधार: बैंक द्वारा नीलामी की गई प्रॉपर्टी के कुछ उदाहरण भी उप मूल्यांकन समिति के सदस्यों ने एकत्रित किए हैं, लेकिन ये गाइडलाइन की बढ़ाेतरी के लिए आधार बन सकते हैं, इस पर आम राय नहीं है। कुछ जानकाराें का कहना है कि यदि नीलामी में 10 लाेगाें ने हिस्सा लिया ताे जाे अधिकतम कीमत में प्राॅपर्टी बिकी वह उस क्षेत्र का वास्तविक मूल्य हाे सकता है लेकिन उसे हर प्राॅपर्टी पर लागू नहीं किया जा सकता।

एक्सपर्ट का तर्क- ज्यादा रेट पर हुई रजिस्ट्री को आधार बनाना पूरी तरह गलत

गाइडलाइन में प्राॅपर्टी की कीमतें बढ़ाने के लिए उपमूल्यांकन समिति ने 1720 दस्तावेज काे आधार बनाया है, क्या ये सही है?
नहीं, ये गलत है। शहर में यदि साल में 40 हजार रजिस्ट्री हाेती हैं ताे 1720 दस्तावेज काे वृद्धि के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता। ये अपवादस्वरूप हाेने वाली रजिस्ट्री हैं।

उप पंजीयक सर्वेक्षण रिपाेर्ट काे भी वजह बता रहे हैं, क्या ये सर्वेक्षण वास्तवित होता है? मुझे नहीं लगता कि काेई उपपंजीयक ऐसा कोई रजिस्टर बनाता है जिसमें वह क्षेत्रों में प्रॉपर्टी की कीमत के बारे में जानकारियां लिखता है। ऐसे सर्वेक्षण गाइडलाइन के पहले तैयार किए जाते हैं ताकि आपत्तियों को खारिज किया जा सके।

पंजीयन विभाग बाजारों में आवासीय प्रॉपर्टी की रेट व्यावसायिक के बराबर करने जा रहा है, क्या ये सही है? नहीं, ये उचित नहीं है। बाजार में राेड साइड की प्राॅपर्टी की कीमत अधिक रहती है लेकिन यदि उसके पिछले हिस्से में आवासीय क्षेत्र है ताे उसकी रेट कम होती है। गाइडलाइन प्राॅपर्टी का वास्तविक मूल्य न हाेकर अलग-अलग क्षेत्राें में बिकने और खरीदे जाने वाली प्राॅपर्टी के मूल्य का औसत हाेता है।