शराब नहीं, ईंधन से बढ़ा MP का राजस्व पेट्रोल-डीजल की बिक्री हर साल 7% बढ़ी, लेकिन कमाई 34%, शराब की खपत में 21% की वृद्धि, आय केवल 19% बढ़ी
राज्य में शराब की खपत हर साल 21% सालाना बढ़ रही है, लेकिन उससे राजस्व की सालाना वृद्धि 19.54% ही रही। इसकी तुलना में पेट्रोल-डीजल की बिक्री में बढ़ोतरी 7% से भी कम रही, लेकिन इससे खजाने में हर साल 34% ज्यादा पैसा आ रहा है। सरकार के अपने आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। खास बात यह है कि सरकार को पेट्रोल-डीजल की टैक्स वसूली के लिए अपना अमला नहीं लगाना पड़ता।
तेल कंपनियां खुद ही यह टैक्स एकत्र करके सरकार के खजाने में जमा करा देती हैं। लेकिन शराब समेत दूसरे मदों में राजस्व उगाही का जिम्मा सरकार के विभागों का होता है। जानकार कहते हैं कि सरकार अपने अमले के जरिए शराब समेत दूसरे मदों में आय नहीं बढ़ा पा रही है। इसका खामियाजा आम आदमी को पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम देकर चुकाना पड़ रहा है।
यानी पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाकर नुकसान की भरपाई कर रही सरकार
भोपाल में बुधवार को पेट्रोल 36 पैसे और महंगा हुआ। इससे दाम 95.50 रुपए प्रति लीटर हो गए, जो 1 जनवरी को 91.46 रु./ लीटर थे। तेल कंपनियों ने नए साल में अब तक 40 दिनों में 14 बार पेट्रोल के दाम बढ़ाए हैं। इससे पहले 20 दिन पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़े थे। पेट्रोल के दाम 29 नवंबर को पहली बार 90 रु./लीटर हुए थे। यानी ढाई माह में ही पेट्रोल के दाम 95 रुपए के पार हो गए। पिछले 40 दिनों में पेट्रोल 4.05 रु. बढ़ रहा है। इसे देखकर कहा जा रहा है कि यह दाम अगलेे डेढ़ माह में 100 रुपए के करीब हो जाएंगे। उधर, डीजल के दाम भी 26 पैसे बढ़कर 85.76 रु. हो गए। इसके दाम पिछले 21 दिनों में 2.84 रु. प्रति लीटर तक बढ़ चुके हैं।
भोपाल टैक्स लॉ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एस कृष्णन कहते हैं, सरकार को राजस्व से जुड़े विभागों की दक्षता बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत थी, ताकि इनके जरिए आय में बढ़े। पेट्रो राजस्व पर निर्भरता घटे। सरकार इन पर लग रहे भारी टैक्स को कम कर सके। लेकिन यह पिछले 10 सालों में होता नहीं दिखा। इसी का नतीजा है कि पेट्रो पदार्थों से सरकार की आय जिस रफ्तार से बढ़ी, उस रफ्तार से दूसरे महकमों की आय नहीं बढ़ पाई।
पेट्रोल पर 33% वैट, 4.5 रु. अतिरिक्त ड्यूटी और 1% सेस, जबकि डीजल पर 23% वैट, 3 रु. ड्यूटी, 1% सेस लगता है।
पेट्रो पदार्थ...
खपत : 2009-10 में रोजाना खपत 1.23 करोड़ लीटर थी, जो 2020-21 में 2.15 करोड़ लीटर हो गई। सालाना बिक्री 6.72 % की दर से बढ़ी।
कमाई : 2009-10 में 2,550 करोड़ रु. थी जो 2020-21 में 370% 12,000 करोड़ रु. हो गई है। सालाना आधार पर 33.62% की दर से इजाफा हुआ।
शराब ...खपत : 2002-03 में 7.40 करोड़ लीटर थी जो 2019-20 में 34.20 करोड़ लीटर हो गई। खपत औसतन 21% की दर सालाना बढ़ रही है।
कमाई : 2009-10 में 2,850 करोड़ रुपए थी जो 2020-21 में बढ़कर 9000 करोड़ रुपए हो गई। 19.54% आय ही हर साल बढ़ी।
शराब माफिया बेलगाम... 40% नुकसान का बोझ जनता पर
अर्थशास्त्री डॉ आरएस तिवारी कहते हैं, वेतन-भत्तों के साथ दूसरे खर्चों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सरकार बढ़े खर्चों को पूरा करने के लिए पेट्रोल-डीजल से होने वाली स्थाई आय पर निर्भर है। वह इसे छोड़ना नहीं चाहती। अपुष्ट आंकड़े कहते हैं कि अकेले शराब में हर साल 30 से 40% राजस्व की हानि होती है।
शराब अवैध तरीके से बनती है और बिक जाती है। इस पर रोक लगे तो सरकारी बिक्री बढ़ेगी। सरकार अगले साल के लिए अपनी लीज की राशि में बढ़ोतरी करने की स्थिति में होगी। कलेक्टर गाइडलाइन बनने के बाद पंजीयन विभाग से होने वाली आय में भी उस तरह से बढ़ोतरी नहीं हो रही, जितनी उम्मीद थी। सरकार को इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है।