सिलाई मशीन देकर 51 साल में 125 महिलाओं की जिंदगी बदली

सिर पर गांधी टाेपी और चेहरे पर मुस्कान...ये हैं 89 साल के गनपतराम नीखरा। गहोई समाज के लोग इन्हें मशीनमैन भी कहते हैं। वजह- बेसहारा और जरूरतमंद महिलाओं काे राेजगार के लिए ये 51 साल से सिलाई मशीन भेंट करते आ रहे हैं। अब तक वे 125 महिलाओं काे सिलाई मशीन दे चुके हैं।

काेराेनाकाल और लॉकडाउन में नीखरा ने 7 महिलाओं काे सिलाई मशीन देकर हौसला बढ़ाया। 5 से 10 हजार कीमत की सिलाई मशीन के लिए श्री नीखरा न तो लोगों से सहयोग लेते हैं और न ही किसी से चंदा। वे इसके लिए अपने बेटों से ही रकम जुटाते हैं। अपने इस परोपकार को वे प्रचार प्रसार से भी दूर रखते हैं। बकौल श्री नीखरा, जिसकी भी मशीन देकर मदद की, उसका फोटो कभी नहीं खींचा। दरअसल, श्री नीखरा का मानना है कि दान प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए। इससे दान लेने वाला हीन भावना से ग्रसित हो सकता है।

1950 में ग्वालियर आए 1970 में दी पहली मशीन

1944 से गांधी टोपी पहन रहे श्री नीखरा मूलरूप से पूराकलां तालबेहट के रहने वाले हैं। 1950 में वह ग्वालियर आए और यहीं के होकर रह गए। 1990 तक किराने की दुकान पर नौकरी कर परिवार पाला। इसके बाद दाल बाजार में ड्राइ फ्रूट्स की दुकान खोली। श्री नीखरा कहते हैं, उन्होंने पहली सिलाई मशीन 1970 में एक विधवा महिला को भेंट की थी। श्री नीखरा के बेटे राजेंद्र और अरुण पिता के जज्बे का सम्मान करते हैं और अब उनके इस काम में उनकी मदद करते हैं।

मदद के 2 उदाहरण

मशीन मिली तो आर्थिक संकट टला, बेटियाें की हुई शादी

नया बाजार में रहने वाली विधवा महिला का कहना है जब वह रोजगार के लिए परेशान थीं तब उन्हें श्री नीखरा ने सिलाई मशीन दी और इसके बाद काम भी दिलाया। इस मदद से अब उनका परिवार संकट के दौर से निकल गया है। उन्होंने बेटियों की शादी भी कर दी है।

लॉकडाउन में बेरोजगार हुआ परिवार, मशीन ने दी मदद

लॉकडाउन के दौरान सिकंदर कंपू में रहने वाली महिला की अामदनी बंद हाे गई। पति ठेला लगाते थे, लेकिन लाॅकडाउन में यह काम बंद हो गया। महिला को सिलाई का काम आता था। श्री नीखरा ने महिला को सिलाई मशीन दिलवाई। अब यह महिला प्रतिमाह 8 हजार रुपए कमाकर परिवार का भरण पोषण कर रही है।

पहले परखते हैं- वह जरूरतमंद है या नहीं

बकाैल श्री नीखरा, वह अपनी कमाई के रुपयों से सिलाई मशीन दान करते हैं इसलिए मशीन देने से पहले समाज और आसपास के लोगों से बात करके परख लेते हैं कि जिसको वह मशीन दे रहे हैं वह जरूरतमंद है या नहीं।