नई शराब दुकानों के आदेश पर किरकिरी कराने के बाद अब आबकारी आयुक्त ने साधी चुप्पी

्रदेश में 20 फीसदी नई शराब दुकानों की संभावना तलाशने के आबकारी आयुक्त के आदेश से किरकिरी हो गई है। चंद घंटों बाद आदेश को निरस्त भी कर दिया गया। प्रदेशभर में सरकार की किरकिरी कराने के बाद अब आयुक्त ने मामले में चुप्पी साध ली है। वह कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।

साथ ही, इस मामले में अफसर बोलने से बच रहे हैं। आबकारी आयुक्त राजीवचंद्र दुबे के पत्र ने प्रदेशभर में शराब को लेकर नया बवाल खड़ा कर दिया है। अब फिर से शराबबंदी की बात होने लगी है। कई पूर्व मुख्यमंत्री इस बहस में कूद पड़े हैं। इस मामले में आबकारी आयुक्त राजीव चन्द्र दुबे का कहना है कि वह इस संबंध में बात करना नहीं चाहते हैं।

यह है पूरा मामला

21 जनवरी को आबकारी आयुक्त राजीव चन्द्र दुबे ने सभी कलेक्टर को एक आदेश पत्र जारी किया था। जिसमें 20 प्रतिशत शराब दुकानें बढ़ाने के लिए संभावना तलाशने के लिए कहा गया था। पत्र में सभी जिलों के कलेक्टर से यहां तक कहा गया है कि आप नई दुकानें खोलने के लिए जो प्रस्ताव भिजवाएं तो उनमें उन गांवों को अनिवार्य रूप से शामिल करें, जिनकी आबादी पांच हजार है और वहां पहले से कोई शराब दुकान नहीं है। इसके लिए 2011 की गणना को आधार बनाया जाए। यह पत्र कुछ ही घंटों में इतना चर्चित हो गया कि इस पर राजनीतिक बहस शुरू हो गई। मुख्यमंत्री उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मैदान में उतर आए। इस पर सीएम शिवराज सिंह ने भी नाराजगी जताते हुए बयान दिया कि कोई नई दुकान नहीं खुलेगी। चंद घंटों बाद 22 जनवरी दोपहर आबकारी आयुक्त ने आदेश निरस्त कर दिया था।

कुछ घंटों में बदल गए तर्क

21 जनवरी को जारी आदेश में विभाग का कहना है कि 10 साल से कोई नई दुकान नहीं खुली है। इसलिए अवैध शराब कारोबार बढ़ रहा है। 2011 की जनगणना को आधार मानकर 5 हजार से ज्यादा आबादी वाले गांव में शराब दुकान खोलने के प्रस्ताव भेजें।
अगले ही दिन 22 जनवरी को आदेश निरस्त करने पर तर्क था कि विभाग ने कलेक्टरों से नई दुकानों के संबंध में सुझाव मांगे थे। यह एक रूटीन प्रक्रिया है।