जुर्माना भरने से आपराधिक दायित्व खत्म नहीं हो जाता: हाई कोर्ट
अवैध रेत उत्खनन के मामले में हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपी राजेंद्र गुर्जर का जमानत आवेदन खारिज कर दिया। यही नहीं, अवैध उत्खनन के इसी मामले में तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश, ग्वालियर ने पूर्व में जिस आरोपी (परशुराम बघेल) को अग्रिम जमानत दी थी, उस आदेश को भी हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया।
हाई कोर्ट ने इस मामले में एसपी अमित सांघी के माध्यम से आरोपी को नोटिस देने का निर्देश दिया है। जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा ,अवैध उत्खनन के मामले में मात्र जुर्माना भरने से आपराधिक दायित्व खत्म नहीं हो जाता।
पैनल एडवोकेट रवि त्रिपाठी ने बताया कि पुलिस थाना सिरोल ने कुछ माह पूर्व रेत का परिवहन कर रही ट्रॉलियां जब्त की थी। वाहन चालकों के पास राॅयल्टी संबंधी कागज नहीं थे। इस पर वाहनों को जब्त करने के साथ ही पुलिस ने इस मामले में आरोपी राजेंद्र गुर्जर को गिरफ्तार किया।
जमानत की गुहार लगाते हुए राजेंद्र ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका लगाई। उनके वकील ने तर्क किया कि इस मामले के सह-आरोपी परशुराम बघेल को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश , ग्वालियर ने 9 अक्टूबर को राॅयल्टी जमा करने की शर्त पर अग्रिम जमानत का लाभ दिया था। इस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जुर्माना जमा करने से आपराधिक दायित्व खत्म नहीं हो जाता। कोर्ट ने इस मामले में पृथक से प्रकरण दर्ज करने का भी निर्देश दिया है।