पिता और पुत्री सहित ईएनटी विभाग का जूनियर डॉक्टर निकला संक्रमित

जिले में सोमवार को 21 लोग संक्रमित पाए गए। इनमें केंद्रीय जेल में एक कैदी और पड़ाव थाना पुलिस द्वारा हरिजन एक्ट में पकड़ा गया युवक शामिल हैं। इसी तरह जेएएच के ईएनटी विभाग में पदस्थ जूनियर डॉक्टर को भी कोरोना होने की पुष्टि हुई है।

इसके अलावा नई सड़क निवासी वृद्ध को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। जब उन्होंने विशेषज्ञ को दिखाया तो डॉक्टर ने काेरोना की जांच कराने के लिए कहा। जांच रिपोर्ट में वृद्ध को कोरोना संक्रमण होने की पुष्टि हुई है। भितरवार निवासी वृद्ध को एक सप्ताह से बुखार आ रहा था। इसलिए उन्होंने अपनी बेटी के साथ अपना सैंपल जांच के लिए दिया।

जांच में वृद्ध और उसकी बेटी दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। पीएचई में पदस्थ बाबू की पत्नी, मुरार निवासी 62 वर्षीय महिला को मोतियाबिन्द की शिकायत है। महिला उपचार के लिए मुरार जिला अस्पताल पहुंची तो डॉक्टर ने पहले कोरोना की जांच कराई, जिसमें महिला को संक्रमण होने की पुष्टि हुई।

आठ दिन बाद भी दिल्ली से नहीं आई सॉफ्टवेयर इंजीनियर की रिपोर्ट

विनय नगर सेक्टर-चार स्थित एक अपार्टमेंट में रहने वाले 35 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर को 27 दिसंबर को कोरोना होने की पुष्टि हुई थी और उसे जिले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसका सैंपल जांच के लिए 28 दिसंबर को सैंपल नेशनल कम्युनिकल डिसीज सेंटर (एनसीडीसी) दिल्ली भेजा गया था।

सैंपल भेजे आठ दिन हो गए हैं लेकिन अभी तक दिल्ली से उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसके पिता को अभी तक कोरोना के कोई लक्षण नहीं हैं। कोरोना के काम मरीज को अगर कोई लक्षण नहीं हैं तो 7 से 10 दिन के अंदर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर के केस में डॉक्टर सिर्फ इसलिए उसे डिस्चार्ज नहीं कर रहे हैं कि एनसीडीसी दिल्ली की रिपोर्ट क्या रहती है? साॅफ्टवेयर इंजीनियर जिला अस्पताल के डॉक्टरों से यही पूछता है कि उसे और उसके पिता को कोरोना के कोई लक्षण नहीं हैं फिर उन्हें यहां क्यों रखा है उसे आखिर कितने दिन और यहां रहना पड़ेगा? ज्ञात रहे कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर अपनी 35 वर्षीय पत्नी और 6 वर्षीय बेटे के साथ 10 दिसंबर को एडिनबर्ग सिटी से दिल्ली आया जहां से कार द्वारा ग्वालियर आया था। सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पत्नी और बेटे की रिपोर्ट निगेटिव आई थी।