ग्वालियर की हवा का स्वास्थ्य सुधारेंगे आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ, 60 लाख रुपए होंगे खर्च
हर शहर में वायु प्रदूषण के कारण एक जैसे नहीं होते। इसलिए सभी प्रदूषित शहरों में वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक जैसा प्लान कामयाब नहीं हो पाता। इसलिए पिछले कुछ सालों में देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य प्रदूषित शहरों में वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक्शन प्लान बनाने से पहले, रिसेप्टर सोर्स मॉडलिंग तकनीक की मदद से सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी कराई जा रही है।
आसान शब्दों में कहें तो जिस तरह पुलिस घटनास्थल पर मिले फिंगरप्रिंट के आधार पर आरोपी की तलाश करती है। ठीक उसी तरह, इस स्टडी में वायु को मशीन के माध्यम से कैद कर पहले उनका परीक्षण करते हैं। फिर यह पता लगाते हैं कि उसमें कौन सा प्रदूषक तत्व ज्यादा और कौन सा कम है? फिर वातावरण में इन तत्वों के उत्सर्जन के कारण खोजे जाते हैं।
कारण पता चलने के बाद इन्हें कैसे खत्म या कम किया जाए, इसको ध्यान में रखते हुए एक्शन प्लान तैयार किया जाता है। इसी तर्ज पर देश की राजधानी दिल्ली और जयपुर में कानपुर आईआईटी ने सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी की थी। कानपुर शहर की स्टडी भी अंतिम चरण में हैं।
ग्वालियर में भी कुल छह स्थानों (शहर का मध्यक्षेत्र, पुराना व नया आवासीय क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, ग्रीन एरिया व अत्यधिक भीड़भाड़ वाला क्षेत्र) पर सर्दी और गर्मी के मौसम में लगातार 14 से 21 दिन तक सैंपलिंग की जाएगी। इसमें फोर चैनल स्पीसिएशन सैंपलर का इस्तेमाल कर वायु में मौजूद धूल के कणों को फिल्टर पेपर पर एकत्रित किया जाएगा और आईआईटी कानपुर परिसर स्थित लैब में इसकी जांच की जाएगी।
तत्व व धातु का परीक्षण आईसीपी- एमएस मशीन और कैंसर कारक तत्व व कार्बोनिक पदार्थों की जांच जीसी-एमएस मशीन से की जाएगी। इसी के आधार पर पता चलेगा कि ग्वालियर में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं? इन कारणों को दूर करने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग सवा साल का समय लगेगा और लगभग 60 लाख रुपए खर्च होंगे।