सरकार मध्यप्रदेश में लव जिहाद को लेकर आज लिया जाएगा निर्णय; कानून को और सख्त किए जाने की संभावना
मध्यप्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित बिल के ड्राफ्ट को लेकर आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण लिया जा सकता है। इसमें कानून को और सख्त बनाने पर फैसला होगा। यहां से मंजूरी के बाद इसे 28 दिसंबर को होने वाले विधानसभा सत्र में पेश कर दिया जाएगा। इससे पहले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कानून को सख्त करने की बात कह चुके हैं। कहा जा रहा है कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तेजी से यह कानून बनाया है, उसी की राह पर शिवराज सरकार भी आगे बढ़ रही है, हालांकि मध्यप्रदेश में इसे और कड़े किए जाने पर फैसला लिया जा सकता है।
कम से कम 10 साल की सजा
प्रस्ताव के मुताबिक गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा और कम से कम 10 साल तक की सजा का प्रावधान रहेगा। लव जिहाद जैसे मामलों में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी। वहीं उन्होंने कहा कि शादी के लिए धर्मांतरण कराने वालों को भी सजा देने का प्रावधान इस कानून में रहेगा।
कलेक्टर को एक महीने पहले आवेदन जरूरी
स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के लिए एक महीने पहले आवेदन देना होगा। कई मामलों में देखा गया है कि युवतियां स्वेच्छा से धर्मांतरण कर शादी करना चाहती है। ऐसे मामलों को देखते हुए कानून में यह भी प्रावधान होगा कि अगर कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन शादी के लिए करना चाहता है, तो उसे एक महीने पहले कलेक्टर के यहां आवेदन देना होगा। धर्मांतरण कर शादी करने के लिए कलेक्टर के यहां यह आवेदन देना अनिवार्य होगा और बिना आवेदन के अगर धर्मांतरण किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यूपी में भी दोषियों को 10 साल की सजा
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ बनाए कानून को अध्यादेश के माध्यम से 24 नवंबर को लागू कर दिया है। जिसमें गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज करने और 10 साल की कठोरतम सजा का प्रावधान है।
मुख्य बिंदु
बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबरदस्ती धर्मांतरण और विवाह पर 10 साल की सजा का प्रावधान होगा।
धर्मांतरण और धर्मांतरण के पश्चात होने वाले विवाह के 1 माह पूर्व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
बगैर आवेदन प्रस्तुत किए धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु , काजी , मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान होगा।
धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत स्वयं पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।
यह अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा।
जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का पंजीयन निरस्त किया जाएगा।
इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का पंजीयन भी निरस्त होगा।
इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही न्यायिक कार्रवाई की जाएगी।