होम आइसोलेट मरीजों को न दवा मिल रही और न देखभाल, घर पर मरीज अपने हाल पर

काेराेना के संक्रमित कम हाेने के साथ प्रशासन ने सभी तरह की सावधानी बंद कर दी हैं। घर पर इलाज ले रहे मरीजाें काे उनके हाल पर छाेड़ दिया गया है। न उन्हें दवा उपलब्ध कराईं जा रही हैं और न ही प्रशासनिक या चिकित्सा टीम उनसे बात कर रही है।

हाल ये है कि मरीज के परिजन को दवा लेने अस्पताल जाना पड़ रहा है या वह बाजार से दवा ले रहे हैं। यही नहीं जिस घर में कोरोना का मरीज है, वहां रहने वाले लाेगाें के सैंपल भी प्रशासन अपने स्तर पर नहीं करा रहा है। ऐसे लाेगाें काे खुद ही सैंपल देने के लिए अस्पताल जाना पड़ रहा है।

कंट्रोल कमांड सेंटर पर में मौजूद डॉक्टर यह तक नहीं पूछ रहे हैं कि उनके घर वालों के सैंपल हुए हैं या नहीं। यही वजह है कि कोरोना के सैंपल कम हो गए है और मरीज कम सामने अा रहे हैं। शहर में अभी 276 संक्रमित घर पर ही इलाज ले रहे हैं।

एक बार फोन पर पूछा हाल, इसके बाद पलटकर नहीं देखा

केस 1

बहोड़ापुर में युवक 12 दिन पहले संक्रमित निकला। दूसरे दिन वीडियो कॉलिंग पर उससे कहा गया कि दवा सरकारी अस्पताल से मंगवा लें। इसके बाद न किसी का फोन आया और न टीम आई।

केस 2

18 दिसंबर को पॉजिटिव आई डीडी नगर की युवती के यहां भी कोई टीम नहीं पहुंची। उन्हें दवा सरकारी डिस्पेंसरी से मंगवाने के लिए कहा गया। युवती का भाई अस्पताल से दवा लेकर आया।

आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों की संख्या भी 10 से कम

मरीजों को अब होम क्वारेंटाइन अधिक किया जा रहा है। सितंबर में आइसोलेशन वार्ड में रोज 50 से अधिक मरीज भर्ती थे। 6 सितंबर को तो सबसे अधिक 126 मरीज भर्ती थे, लेकिन अब ऐसा नही है। दिसंबर में आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों की संख्या 10 तक भी नहीं पहुंची।

नए साल में 200 से कम हो जाएंगे एक्टिव मरीज

दिसंबर में एक्टिव मरीजाें की संख्या तेजी से घट रही है। एक दिसंबर को एक्टिव मरीज 727 थे, जबकि 21 दिसंबर को यह संख्या घटकर 356 पर आ गई। यानी प्रतिदिन औसतन 17 एक्टिव केस कम हो रहे हैं। यही रफ्तार रही तो 1 जनवरी को एक्टिव केसों की संख्या 200 से भी कम हो जाएगी।

गौरतलब है कि कोरोना ब्लास्ट के चलते एक्टिव केसों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई थी। अगस्त में जहां एक्टिव केसों की संख्या एक हजार से कम थी, वहीं 14 सितंबर को संख्या 2148 पर पहुंच गई थी।