अहमदाबाद में बन रही कोविड वैक्सीन की गुणवत्ता के परीक्षण का जिम्मा जेयू के पूर्व छात्र प्रशांत के पास
शहर की जीवाजी यूनिवर्सिटी के एक पूर्व छात्र डॉ. प्रशांत त्रिपाठी अहमदाबाद में जायडस कैडिला द्वारा बनाई जा रही काेविड वैक्सीन को लेकर रिसर्च में जुटी 110 वैज्ञानिकों की टीम में शामिल हैं। उन पर क्लीनिकल ट्रायल के दौरान वैक्सीन के मानव शरीर पर होने वाले प्रभाव की मॉनीटरिंग का जिम्मा है। इसके आधार पर ही वैक्सीन की गुणवत्ता तय की जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि यह वैक्सीन मार्च तक तैयार हो जाएगी।
झांसी में रहने वाले डॉ. प्रशांत त्रिपाठी ने 2004 में जीवाजी यूनिवर्सिटी में मास्टर इन इंस्ट्रूमेंटेशन एंड कमर्शियल मेथड्स ऑफ इंडस्ट्रियल एनालिलिस (एमआईसीए) में प्रवेश लिया था। 2006 उन्होंने कोर्स पूरा किया, यहां पर कैंपस प्लेसमेंट के दौरान उनका सिलेक्शन हो गया था। इसके बाद वह कई फाॅर्मा कंपनियों में कॅरियर का सफर तय करते हुए 2015 में जायडस कैडिला कंपनी में पहुंचे थे।
वैक्सीन का काम शुरू हाेने के बाद छुट्टी तक नहीं ली
डॉ. प्रशांत के मुताबिक, कोरोना के भारत में आने के साथ ही जायडस कैडिला में वैक्सीन बनाने का काम शुरू हो गया था। वैक्सीन का काम शुरू होने के बाद टीम में किसी ने साधारणत: छुट्टी नहीं मनाई है। उन्हें वर्ष 2012 में बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी ने पीएचडी अवार्ड की थी। उन्होंने दवा के क्लीनिकल ट्रायल के दौरान मानव शरीर पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया था, इसकी वजह से ही उन्हें कोरोना वैक्सीन बनाने वाली टीम का हिस्सा बनाया गया है।
जेयू ने 1993 में डिजायन किया था एमआईसीए कोर्स
जीवाजी यूनिवर्सिटी ने वर्ष 1993 में एमआईसीए कोर्स शुरू किया था। सामान्यत: केमिस्ट्री के छात्रों को लैब के उपकरणों के बारे में जानकारी नहीं होती थी और फिजिक्स के छात्रों को उपकरणों की जानकारी होती थी, लेकिन वह केमिकल रिएक्शन के बारे में नहीं जानते थे। 1993 में डिजायन किए गए इस कोर्स में छात्रों को केमिकल के बारे में भी मूल रूप से पढ़ाया जाता था। साथ ही उन्हें उपकरणों की क्रियाविधि का अध्ययन भी विशेष रूप से कराया जाता था।