400 साल पुराने कार्तिकेय मंदिर के गेट रात 12 बजे खोले गए, हुई पूजा अर्चना
साल में सिर्फ एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन खोले जाने वाले भगवान कार्तिकेय मंदिर को रविवार रात 12 बजे खोला गया है। 400 साल पुराने इस मंदिर में सोमवार सुबह 4 बजे से भक्त दर्शन के लिए पहुंचना शुरू हो जाएंगे। ऐसा मानना है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय के दर्शन मात्र से सारी मन्नत पूरी होती है।
शहर के जीवाजीगंज में कार्तिकेय मंदिर है और यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष आयोजन होते हैं। रविवार रात 12 बजे मंदिर के दरवाजे खोले गए। सबसे पहले भगवान कार्तिकेय के मंदिर को साफ कर धोया गया। इसके बाद उनकी पूजा अर्चना विधि विधान के साथ की गई। अब सुबह 4 बजे से आम भक्तों के लिए दर्शन के लिए मंदिर खोल दिया जाएगा और सोमवार रात 12 बजे तक लोग दर्शन कर सकते हैं।
कोविड गाइड लाइन का होगा पालन
मंदिर प्रबंधन ने बताया है कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर के पट तो खुलेंगे पर मंदिर आने वालों को कोविड गाइड लाइन का पालन करना होगा। मंदिर में बिना मास्क प्रवेश नहीं हो सकेगा। साथ ही सोशल डिस्टेंस भी बनाना होगा।
क्यों है साल में एक दिन खोलने की परम्परा
ऐसा बताया जाता है कि जब भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय से कहा था कि जो तीनों लोक की परिक्रमा करके सबसे पहले हमारे पास आएगा,उसकी पूजा सबसे पहले मानी जाएगी। इस पर भगवान गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा लगाई, क्योंकि उनमें तीनों लोक समाहित होते हैं। गणेश की इस बुद्धिमता से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें ये आशीर्वाद दिया था कि उनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले होगी।
पर जब कार्तिकेय तीनों लोक की परिक्रमा लगाकर वापस लौटे तो देखा कि गणेश की जय जयकार हो रही है। सभी ने उन्हें भगवान मान लिया है। इस पर वो नाराज हुए खुद को एक गुफा में बंद कर श्राप दिया कि जो महिला उनके दर्शन करेगी विधवा हो जाएगी, पुरुष 7 जन्म नरक में जाएंगे। इस पर भगवान शिव ने उन्हें समझाया तो क्रोध शांत हुआ। अंत मे शिव ने वरदान दिया कि कार्तिक के जन्मदिन यानी कार्तिक पूर्णिमा पर उनके दर्शन किये जा सकेंगे। इसलिए साल में ये मंदिर एक दिन के लिए खुलता है।