पांच दिन में भी अंतिम छोर तक नहीं पहुंचा नहर का पानी, अब सिर्फ गेहूं की फसल कर पाएंगे किसान

किसानों ने दतिया विधायक व प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से अक्टूबर के पहले सप्ताह में मिलकर नहरों में पानी छोड़ने की मांग की थी ताकि वे दलहन व तिलहन की भी पैदावार कर सकें लेकिन किसानों की यह मंशा पूरी नहीं हो सकी। जिले में उपचुनाव के लिए मतदान के बाद 4 नवंबर को पानी छोड़ा गया।

4 दिन बाद भी पानी टेल पोर्शन (अंतिम छोर) तक नहीं पहुंचा। परिणाम किसान पलेवा नहीं कर सके। साथ ही गेहूं की पैदावार अब उनकी मजबूरी बन गई है क्योंकि दलहन-तिलहन की बुवाई का समय अक्टूबर का अंतिम व नवंबर माह के प्रथम सप्ताह होता है जो निकल गया। हालांकि जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री का कहना है कि पानी 32 किमी तक पहुंच गया है। एकाध दिन में टेल तक पहुंच जाएगा। बता दें कि मुख्य नहर की लंबाई 40 किमी है।

गृह मंत्री से किसानों की मांग के बाद जल संसाधन विभाग ने बेतवा बोर्ड की बैठक के बाद 15 अक्टूबर से नहरें शुरू करने की घोषणा कर दी थी। मुख्य नहर में 15 अक्टूबर को पानी छोड़ा गया। लेकिन 16 अक्टूबर को बंद कर दिया गया। विभागीय अधिकारियों ने कहा सुकुमा डुकमा बांध में दरार आ जाने से उसकी मरम्मत का काम चल रहा है।

इसलिए पानी बंद किया गया। इसके बाद नहरों में 4 नवंबर को पानी छोड़ा गया। जिससे कई किसान चना, सरसों, मटर, मसूर, अलसी जैसी फसलों की पैदावार नहीं कर सकेंगे। कारण नहरों के पानी पर निर्भर किसानों को पानी नहीं मिल सका। जिससे वह अपने खेतों का पलेवा व इन फसलों की बुबाई नहीं कर सके।

अब इन फसलों की बुबाई का समय निकल चुका है। किसानों के पास अब सिर्फ गेहूं की पैदावार का विकल्प रह गया। खास बात यह है कि जिले में चना, सरसों और मसूर ही रबी सीजन की ऐसी फसलें हैं जो पांच हजार रुपए क्विंटल से अधिक दामों में बाजार में बिकती हैं। कम पानी की फसलों में किसानों को ज्यादा फायदा होता है। लेकिन किसान इन फसलों की बोवनी नहीं कर सके।

चार दिन बाद भी टेल पोर्शन तक नहीं पहुंचा पानी


जिले की 40 किमी लंबी नहरों में पानी 15 अक्टूबर को अंगूरी बैराज से छोड़ दिया गया था लेकिन पानी टेल पोर्शन तक भी पहुंचता, उससे पहले ही उत्तरप्रदेश के झांसी में स्थित सुकुआं ढुकुआं मुख्य नहर में दरार होने के चलते पानी बंद कर दिया गया। मेंटेनेंस के बाद पानी फिर छोड़ा गया लेकिन कुछ दिन पानी छोड़ने के बाद बंद कर दिया गया।

चार नवंबर को नहर में पानी छोड़ा गया लेकिन तब से रविवार शाम तक अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंचा था। अधिकारी भी यह बात मानते हैं। अधिकारियों का दावा है कि 32 किमी तक पानी पहुंच गया है। एकाध दिन में पानी टेल पोर्शन तक पहुंच जाएगा।

पारीछा परियोजना की नहरें चलती रहीं...


जिले में मुख्य रूप से किसानों को पारीक्षा व राजघाट परियोजना की नहरों से पानी मिलता है। भांडेर क्षेत्र में पारीछा परियोजना की नहरें अक्टूबर में ही शुरू कर दी गई थी लेकिन राजघाट परियोजना की नहरें सही तरीके से नवंबर माह में शुरू की गईं जबकि जिले के अधिकांश क्षेत्र राजघाट परियोजना की नहरों से ही जुड़ा है।

32 किमी तक पानी पहुंच चुका है, जायजा ले रहे हैं


^नहर में 32 किमी तक पानी पहुंच चुका है और पूरी क्षमता से पानी चल रहा है। माइनर नहरों में भी पानी चल रहा है। किसानों ने पलेवा शुरू कर दिया है। किसान माइनर में अपनी जरूरत के हिसाब से पानी लेते हैं। हम खुद लगातार क्षेत्र में घूमकर जायजा ले रहे हैं।
एनपी बाथम, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग