फेक मैसेज से निपटना कोई रॉकेट साइंस नहीं हैः Whatsapp पर बरसे रविशंकर प्रसाद
Whatsapp पर फैल रही अफवाहों की वजह से मॉब लिंचिंग की बढ़ रही घटनाओं पर केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि सोशल मीडिया साइट्स की भी जिम्मेदारी हो कि वह गलत सूचनाएं फैलाने का जरिया न बनें. प्रसाद ने कहा, 'किसी समय पर किसी क्षेत्र विशेष में किसी खास मुद्दे से जुड़े मैसेजों के व्यापक आदान-प्रदान को चिन्हित करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है.'
उन्होंने कहा कि भारत Whatsapp के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है. Whatsapp के यूजर दुनियाभर में हैं. इसलिए Whatsapp के लिए जरूरी है कि लोगों के सुरक्षात्मक पहलू पर भी Whatsapp ध्यान दे. आईटी मंत्रालय को व्हाट्सएप्प ने नोटिस का जवाब देकर आश्वस्त किया है कि अफवाहों पर काबू पाने के लिए उचित नियामक तय किए जाएंगे और इस मामले में शिक्षाविदों की भी मदद ली जाएगी.
3 जुलाई को आईटी मंत्रालय को भेजे गए लेटर में WhatsApp ने लिखा है कि वह लोगों को उन जानकारियों से वाकिफ करा रहा है जिससे लोग सुरक्षित रह सकें. साथ ही वह ग्रुप चैट में भी तब्दीली कर रहा है ताकि फेक मैसेज को फैलने से रोका जा सके. इस संबंध में Whatsapp ने जवाब दिया है. कंपनी ने कहा कि उसके प्लेटफॉर्म के जरिए इन मैसेज को रोकना एक चुनौती है और इसके लिए उनके और भारत सरकार के बीच पार्टनरशिप की जरूरत है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दिनों WhatsApp के जरिए बच्चों को अगवा करने की फेक खबर फैली थी, जिसके बाद 30 लोगों की अबतक मौत हो चुकी है. इस अफवाह से पूरे देश में माहौल भयावह हो चला है. भारत में WhatsApp का इस्तेमाल करीब 20 करोड़ लोग करते हैं. ऐसे में फेक मैसेज और वीडियो ने पहले से ही डेटा प्राइवेसी को लेकर विवाद में चल रही पैरेंट कंपनी फेसबुक का सिरदर्द बढ़ा दिया है.
Whatsapp ने कहा, "हम लोगों को नियमित रूप से बता रहे हैं कि ऑनलाइन सेफ कैसे रहें. उदाहरण के तौर पर हम हर रोज बताते हैं कि कैसे फेक न्यूज को पहचानें. साथ ही हम जल्द ही इस संबंध में एजुकेशनल मटेरियल मुहैया कराएंगे. इस साल पहली बार हमने फैक्ट चेकिंग संगठन के साथ काम करना शुरू कर दिया है ताकि अफवाहों और फेक खबर को फैलने से रोका जा सके और WhatsApp का इस्तेमाल करते हुए उसका जवाब दिया जा सके. उदाहरण के तौर पर हमने इस संबंध में मैक्सिको प्रेसीडेंशियल चुनाव के लिए काम किया था. इस दौरान चुनाव से संबंधित जानकारी को लेकर यूजर्स ने हजारों फेक मैसेज भेजे थे. इसके जवाब में हमने यूजर्स को सही जानकारी मुहैया कराई थी और बताया था कि क्या फेक है और क्या सही. हम ब्राजील में इसी प्रोग्राम पर 24 न्यूज कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं, उम्मीद है कि इन दोनों मामलों से जो हमें सीख मिली है उसे हम भारत में इस्तेमाल करते हुए फेक न्यूज रोक पाएंगे."